आगरा मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण (एमएसीटी ) ने नेशनल इंश्योरेंस कंपनी को 13,26,407/- रूपये व ब्याज जमा करने का आदेश

न्यायालय मुख्य सुर्खियां

आगरा २० जुलाई ।

आगरा में मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण (एमएसीटी ) ने कुसुम देवी बनाम नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (एमएसी /2016) के मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है।

माननीय नरेंद्र कुमार पाण्डेय (एच.जे.एस.) की अध्यक्षता वाले इस अधिकरण ने याचिकाकर्ताओं को ₹13,26,407/- का कुल मुआवजा 7% वार्षिक ब्याज के साथ प्रदान किया है। यह ब्याज 1 जुलाई, 2016 से अंतिम भुगतान तक देय होगा।

यह मामला थान सिंह उर्फ छोटू की मृत्यु से संबंधित है, जिनकी दुर्घटना के समय आयु लगभग 22 वर्ष थी। यह घटना 30 अप्रैल, 2016 को दोपहर करीब 2:30 बजे राजाखेड़ा शमशाबाद मार्ग पर तिवरियागढ़ी के पास हुई थी।

थान सिंह रैना वाली देवी से लौट रहे थे, तभी एक कार (यूपी 80 डीजे 0377) ने उन्हें पीछे से टक्कर मार दी, जिससे उन्हें गंभीर चोटें आईं। 17 मई, 2016 को उपचार के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, मृत्यु का कारण “सेप्टिक शॉक” था, जो चोटों के कारण हुआ था।

याचिकाकर्ताओं, जिनमें मृतक की पत्नी श्रीमती कुसुम देवी, माता श्रीमती शांति देवी, भांजी कु. हेमा, और भांजा मा. राजा शामिल हैं, ने ₹30,00,000/- के मुआवजे की मांग की थी। नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (विपक्षी संख्या 1), जो कार की बीमाकर्ता थी, ने दुर्घटना से इंकार किया और कहा कि याचिका कानूनी रूप से स्वीकार्य नहीं है।

उनका तर्क था कि यदि कोई दुर्घटना हुई भी है, तो वह मृतक की लापरवाही के कारण हुई है। बीमा कंपनी ने मोटर वाहन अधिनियम की धारा 147, 149 और 170 तथा इंश्योरेंस अधिनियम की धारा 64 वीबी के तहत अपने बचाव का अधिकार भी प्रस्तुत किया। वाहन मालिक मान सिंह (जो मुकदमे के दौरान मृत हो गए) और चालक योगेश कुमार ने दावा किया कि कार बीमाकृत थी और चालक के पास दुर्घटना के समय वैध लाइसेंस था।

अदालत ने पाया कि दुर्घटना की पहली सूचना रिपोर्ट (एफ आई आर) 30 अप्रैल, 2016 की घटना के लगभग डेढ़ महीने बाद 16 जून, 2016 को दर्ज की गई थी। हालांकि, माननीय सर्वोच्च न्यायालय के रवि बनाम बद्री नारायण एवं अन्य (2011) के फैसले का हवाला देते हुए, अधिकरण ने कहा कि मोटर वाहन दुर्घटना के मामलों में केवल एफ आई आर दर्ज करने में देरी के आधार पर याचिका को रद्द नहीं किया जा सकता है।

अधिकरण के मुख्य निष्कर्ष:

चालक की लापरवाही: चश्मदीद गवाह मुरारी लाल के मौखिक साक्ष्य और संबंधित दस्तावेजी साक्ष्य के आधार पर, अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि दुर्घटना प्रश्नगत वाहन के चालक की तेज और लापरवाही से हुई थी। आरोप पत्र में भी चालक योगेश कुमार को आरोपी बनाया गया था।

वैध ड्राइविंग लाइसेंस: चालक योगेश कुमार के पास 2 जनवरी, 2016 से 1 जनवरी, 2036 तक गैर-परिवहन वाहन चलाने का वैध लाइसेंस था, जो दुर्घटना की तारीख 30 अप्रैल, 2016 को भी प्रभावी था।

वैध बीमा पॉलिसी: दुर्घटना के समय वाहन नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड से 29 जून, 2015 से 28 जून, 2016 तक वैध रूप से बीमाकृत था।

याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि मृतक थान सिंह कैटरिंग का काम करके प्रति माह ₹18,000/- कमाते थे। हालांकि, वे इस आय को साबित करने के लिए कोई दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत करने में असफल रहे। इसलिए, अधिकरण ने मृतक की आय को अकुशल श्रमिक के लिए न्यूनतम मजदूरी के आधार पर निर्धारित किया, जो प्रति माह ₹6,000/- या वार्षिक ₹72,000/- थी।

कुल मुआवजा राशि नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा अदा की जाएगी। निर्णय में यह भी निर्दिष्ट किया गया है कि कुल पुरस्कृत राशि में से ₹7,00,000/- श्रीमती कुसुम देवी (पत्नी) और ₹2,00,000/- श्रीमती शांति देवी (माता) के लिए दो साल तक एक राष्ट्रीयकृत बैंक में जमा किए जाएंगे, जिसमें वे मासिक ब्याज निकाल सकेंगी।

नाबालिग याचिकाकर्ताओं, कु. हेमा और मा. राजा के लिए, प्रत्येक को ₹1,00,000/- एक राष्ट्रीयकृत बैंक में तब तक जमा किए जाएंगे जब तक वे बालिग नहीं हो जाते।

उनकी नानी श्रीमती शांति देवी को उनके पालन-पोषण के लिए ब्याज निकालने की अनुमति होगी। शेष राशि याचिकाकर्ताओं को वितरित की जाएगी। मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण, आगरा में थान सिंह उर्फ़ छोटू के परिवारीजन की तरफ से से पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश सिंघल ,राघव सिंघल एवं जे.पी.शर्मा द्वारा की गयी।

Attachment/Order/Judgement – kusum devi vs NIC (MAC 427-2016) me judgement

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विवेक कुमार जैन
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