आगरा, ३० जुलाई ।
आगरा के जीवनी मंडी निवासी मोनू पुत्र चंद्रभान को एक युवती के अपहरण के मामले में साक्ष्य के अभाव में फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम के अपर जिला जज ने बरी कर दिया है। यह फैसला तब आया जब कथित अपहृत युवती ने खुद आरोपी के पक्ष में बयान दिए और चिकित्सीय परीक्षण कराने से भी साफ इंकार कर दिया था।
यह मामला थाना मलपुरा में 24 मई 2018 को दर्ज किया गया था। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि उस रात उनकी 17 वर्षीय बेटी अपने दादी के कमरे में सो रही थी।
देर रात जब उनकी नींद खुली, तो उन्होंने देखा कि बेटी के कमरे की लाइट जल रही थी और सामान बिखरा पड़ा था, जबकि उनकी बेटी गायब थी। बाहर जाकर देखने पर उन्होंने कुछ लोगों को उनकी बेटी को एक टेम्पो में ले जाते हुए देखा और शोर मचाकर उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन वे बेटी को लेकर भाग गए।
पुलिस ने शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर जांच शुरू की और आरोपी मोनू को हिरासत में लेकर पीड़िता को छुड़ाया। पीड़िता को चिकित्सीय परीक्षण के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उसने अपनी अंदरूनी जांच/मेडिकल कराने से स्पष्ट रूप से इंकार कर दिया।
इसके अतिरिक्त, पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के सामने दिए अपने बयान में भी कहा कि वह अपनी मर्जी से आरोपी के साथ गई थी। उसने यह भी स्पष्ट किया कि आरोपी ने उसके साथ कोई गलत काम नहीं किया है।
अदालत ने आरोपी के अधिवक्ता भारत सिंह द्वारा प्रस्तुत तर्कों और मामले में साक्ष्य के अभाव को देखते हुए मोनू को बरी करने का आदेश दिया।
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