आगरा/प्रयागराज १६ मई ।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म का वीडियो बनाने के आरोपी को जमानत पर रिहा करने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा आरोप जघन्य अपराध का है, गंभीर सजा हो सकती है। यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने राजू सिंह लोध उर्फ सुरेन्द्र की जमानत अर्जी को खारिज करते हुए दिया है।
कौशांबी के कोखराज थाने में पीड़िता की मां ने 6 जून 24 को 29 अप्रैल 24 की घटना की एफआईआर दर्ज कराई। आरोप लगाया कि शिकायतकर्ता के पति मजदूरी करने गए थे, वह रिश्तेदार की मिट्टी में गई थी।
उनकी 17वर्षीय लड़की घर में अकेली थी। दिन में 11.05 बजे रामबली शर्मा विद्यालय भरवारी के प्रधानाचार्य देवेंद्र मिश्र ने घर में अकेली पाकर जबरन दुष्कर्म किया। वीडियो बनवाकर प्रसारित किया और धमकी दी। परिवार द्वारा वीडियो देखने पर लड़की ने रोते हुए पूरी दास्तान सुनाई तब एफआईआर दर्ज की गई।
पुलिस ने देवेंद्र मिश्र, राजू सिंह लोध व राकेश पटेल के खिलाफ चार्जशीट दायर की। ट्रायल चल रहा है। याची का कहना था कि दुष्कर्म का आरोप देवेंद्र मिश्र पर है। उस पर वीडियो बनाने का आरोप है। पीड़िता ने अपने बयान में कहा है कि मुख्य अभियुक्त मिश्र के कहने पर नाम लिया है। याची का नाम एफआईआर में नहीं था।वह 8 जून 24 से जेल में बंद हैं।
सरकारी अधिवक्ता दीपक मिश्रा ने कहा पीड़िता के बयान व क्रास बयान में 28 दिन की देरी हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बयान व प्रतिपरीक्षा उसी दिन होना चाहिए।देरी से अभियुक्त द्वारा प्रभावित किया जा सकता है।
यह भी कहा मनुष्य झूठ बोल सकता है किन्तु दस्तावेज व परिस्थितियां झूठ नहीं बोलेगी। कोर्ट ने अपराध की गंभीरता को देखते हुए कहा जमानत देने का कोई आधार नहीं है।
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