आगरा 02 फरवरी ।
75 वर्षीय विधवा वृद्ध महिला श्रीमती गिरिजा देवी पत्नी स्वर्गीय श्री सुरेंद्र कुमार गुप्ता निवासी शाहदरा थाना एत्माद्दौला आगरा के पति की डॉक्टर की लापरवाही से 22 वर्ष पूर्व दिनांक 23 फरवरी 2003 को मृत्यु हो गई थी। वादिया ने जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग प्रथम में उक्त डॉक्टर के विरुद्ध एक परिवाद प्रस्तुत किया । जिसमें जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग प्रथम के तत्कालीन अध्यक्ष ने दिनांक 1 जनवरी 2007 को वादिया के पक्ष में निर्णय देते हुए विद्या नर्सिंग होम के डॉक्टर उमाकांत गुप्ता एवं विद्या गुप्ता को वादिया को आदेश के 45 के अंदर इलाज में लापरवाही पर ₹50,000/- सेवा में कमी एवं इलाज में हुए खर्च पर ₹1लाख तथा वाद व्यय के रूप में ₹1000/- अदा करने के आदेश किए थे ।
लेकिन विपक्षी ने इस आदेश के विरुद्ध राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील की। लेकिन वहां से भी वादिया के पक्ष में निर्णय हुआ ।तब विपक्षीगण ने राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में अपील की ।लेकिन वहां पर भी अपील को निरस्त कर दिया गया। जिसके बाद विपक्षी ने आयोग के आदेश के अनुसार धनराशि आयोग में जमा कर दी ।
जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग प्रथम के अध्यक्ष माननीय सर्वेश कुमार द्वारा वादियाश्रीमती गिरिजा देवी को 3 लाख 15 हज़ार का चेक दिया तो वादिया के भावुकता में आंसू बहने लगे।
घटनाक्रम के अनुसार श्रीमती गिरिजा देवी के पति सुरेंद्र कुमार गुप्ता को प्रोटेस्ट की शिकायत होने पर दिनांक 18 जनवरी 2003 को डॉक्टर शेखर वाजपेई को दिखाया तो उन्होंने प्रोस्टेट की परेशानी बताते हुए ऑपरेशन कराने की सलाह दी। ज्यादा परेशानी होने पर वादिया ने विद्या नर्सिंग होम में डॉक्टर उमाकांत गुप्ता एवं विद्या गुप्ता को दिखाया तो उन्होंने तुरंत पति को नर्सिंग होम में भर्ती कर लिया तथा ₹10,000/- जमा करा लिए और ऑपरेशन थिएटर में ले जाकर उनका ऑपरेशन कर दिया।
वादिया के पुत्र अनिल कुमार ने पूछा कि पिताजी का ऑपरेशन आपने इतनी जल्दी क्यों कर दिया ? मेरे पिता हाई ब्लड प्रेशर अस्थमा के मरीज है। तो डॉक्टर उमाकांत गुप्ता ने वादिया के पति को दिखाने के लिए हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर एसके सिंह को बुलाया तो उन्होंने मरीज को देखते ही डॉक्टर से कहा कि आप लोगों ने यह क्या कर दिया ? मरीज की पल्स रेट गिरती जा रही है उन्होंने तुरंत कई इंजेक्शन लगाए और ऑक्सीजन लगाई ।
तब डॉक्टर उमाकांत गुप्ता और विद्या गुप्ता ने कहा कि अब आपके पति ठीक है घर ले जाइए। वादियापति को घर ले आई लेकिन हालत में कोई सुधार नहीं हुआ । तीन दिन बाद जब वादिया अपने पति को दिखाने ले गई तो डॉक्टर ने पट्टी करके घर भेज दिया । उसके बाद पति की हालत खराब होने पर 7 फरवरी 2003 को उन्हें अस्पताल दे गई तो उन्हें डॉक्टर ने पट्टी करके घर ले जाने के लिए कहा ।
लेकिन उस समय पति के घाव से मवाद निकल रहा था। तब वादिया ने स्थिति बिगड़ने पर डॉक्टर उमाकांत गुप्ता को दिखाया तो डॉक्टर ने पति को राम रघु हॉस्पिटल में आईसीयू भर्ती कर दिया जहां इलाज के दौरान 23 फरवरी 2003 को पति की मृत्यु हो गई थी ।
Stay Updated With Latest News Join Our WhatsApp – Group Bulletin & Channel Bulletin
- दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को पकड़ने पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा, फिलहाल कोई रोक नहीं - August 15, 2025
- सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में 65 लाख मतदाताओं की सूची सार्वजनिक करने का दिया आदेश, हटाए जाने के कारण भी बताने को कहा - August 15, 2025
- सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि पर ₹273.5 करोड़ के जीएसटी जुर्माने पर लगाई रोक - August 15, 2025