चार साल की बच्ची से दुष्कर्म पर हाईकोर्ट की टिप्पणी, आरोपी को जमानत देने से इंकार
कहा दुष्कर्म पीड़िता ही नहीं समाज के विरूद्ध अपराध जीवन के मूल अधिकारों का है हनन
आगरा /प्रयागराज 16अक्टूबर ।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चार वर्ष की मासूम बच्ची से दुष्कर्म के आरोपी की जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा है कि जिस बच्ची को अपराध का मतलब नहीं मालूम उसके साथ दुष्कर्म की कोशिश की गई।
कोर्ट ने कहा जिस देश में बच्चियां पूजी जाती है उस देश में छोटी बच्चियों के साथ दुष्कर्म जैसा घृणित अपराध किया जा रहा है। ऐसी घटनाएं बढ़ती जा रही है जो चिंताजनक है।
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कोर्ट ने कहा यह केवल पीड़िता ही नहीं समाज के विरूद्ध गंभीर अपराध है। ऐसा अपराध अनुच्छेद 21 में मिले जीवन के मूल अधिकारों का हनन है। यदि सही निर्णय नहीं लिया गया तो न्याय व्यवस्था से जन विश्वास उठ जाएगा।
कोर्ट ने जमानत देने से इंकार करते हुए ट्रायल एक साल में पूरा करने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने थाना कटघर, मुरादाबाद के अभियुक्त अहसान की जमानत अर्जी की सुनवाई करते हुए दिया है।
मामले के अनुसार अप्रैल 24 को दिन में तीन बजे बच्ची बाहर हो रहे शो को देखने गई थी। लोगों ने बताया कि याची उसे जबरन साथ ले गया है जिसके बाद परिवार ने लड़की की तलाश शुरू की। रेलवे गेट क्रासिंग के पास आवाज सुनाई दी तो परिवार वालों को आता देख याची भाग खड़ा हुआ।
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बच्ची बेहोश थी, कपड़े उतरे थे, शरीर पर कई चोटे थी। रेप की कोशिश की गई थी। घटना की एफआईआर दर्ज की गई। याची का कहना था कि वह निर्दोष है उसे झूठा फंसाया गया है। 21अप्रैल की घटना की एफआईआर छः दिन बाद 27 अप्रैल 24 को लिखाई गई है। देरी का कारण नहीं बताया गया है। याची 31मई 24 से जेल में बंद हैं।
याची ने शिकायतकर्ता के ड्राइवर वसीम के खिलाफ शिकायत की थी उसने गलत काम किया और भाग कर मेरे घर में घुस गया और झुठी एफआईआर दर्ज कराई।
याची का यह भी कहना था कि पीड़िता के दोनों बयानों में विरोधाभास है। मेडिकल रिपोर्ट के विपरीत है। मेडिकल रिपोर्ट में अंदरूनी व बाहरी कोई चोट नहीं पाई गई।
जबकि एफआईआर में शरीर पर चोटो का जिक्र किया गया है। याची ने अपने खिलाफ चार आपराधिक केसों के इतिहास का खुलासा किया है।
सरकारी वकील ने जमानत का विरोध किया और कहा अपराध जघन्य है। आरोपी जमानत पर रिहा किए जाने लायक नहीं है जिसके बाद कोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज कर दी।
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