इलाहाबाद हाईकोर्ट फोटो आइडेंटीफिकेशन सेंटर में फर्जीवाड़े की जांच सीबीआई को हाईकोर्ट ने मांगी रिपोर्ट

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अगली सुनवाई 4 नवंबर को बैंक डेट से फर्जी फोटो आईडी बनवाकर जानलेवा हमले के आरोपी ने पाई जमानत, मुकद्दमे की सुनवाई पर लगवाई रोक

आगरा/ प्रयागराज 25 सितंबर।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाईकोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा निहारिका इंटरप्राइजेज डांडा,हिम्मत गंज के माध्यम से संचालित फोटो आइडेंटीफिकेशन सेंटर में फोटो खींचने में फर्जीवाड़े की जांच सीबीआई को सौंप दी है और रिपोर्ट मांगी है। मामले की अगली सुनवाई 4 नवंबर को होगी।

यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने गुरेंद्र उर्फ गोलू की पुनरीक्षण याचिका पर दिया है।

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कोर्ट ने याची के खिलाफ ट्रायल कोर्ट अमरोहा से आरोप निर्मित होने के कारण स्थगनादेश आगे बढ़ाने से इंकार कर दिया है। अभी तक केस कार्यवाही पर रोक लगी थी।जिसे नहीं बढ़ाया गया।

कोर्ट ने सीबीआई के वरिष्ठ अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश व निबंधक अनुपालन से कहा है कि आदेश की प्रति संयुक्त निदेशक सीबीआई लखनऊ को तत्काल भेजे ताकि वह किसी अधिकारी को जांच सौप सके।

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मालूम हो कि 12 मई 23 की सुबह 9 बजे याची सहित चार लोगों ने पीड़िता पुष्पा पर फायरिंग की जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गई। उसे छः जानलेवा गोली की चोटें आईं।

अस्पताल में भर्ती कराया गया और जान बच गई। पीड़िता की बहन ने बछरावां थाने में एफआईआर दर्ज कराई। पुलिस ने दो आरोपियों पर चार्जशीट दाखिल की और अदालत ने संज्ञान लिया। याची ने अपराध से उन्मोचित करने की अर्जी दी जिसे अदालत ने खारिज कर दी और आरोप निर्मित किया है।

ट्विस्ट यह आया कि याची ने फायरिंग की घटना के दिन प्रयागराज में फोटो आइडेंटीफिकेशन सेंटर से फोटो खिंचवाने 700 किमी दूर दोपहर 11.30 बजे मौजूद होने का सहारा लिया। पीड़िता की धारा 125 कार्यवाही में हलफनामा भी दाखिल किया। इसी आधार पर उसने हाईकोर्ट से जमानत भी पा ली।

उन्मोचित करने की अर्जी खारिज होने पर यह याचिका दायर की। पीड़िता को नोटिस होने पर उसने वकील किया और याची के हलफनामे का विरोध किया और कहा कि उसने घटना के दिन का फर्जी फोटो दिया है।

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पीड़िता ने भी पैसे खर्च कर घटना के दिन का फोटो खिंचवाया और वकील के मार्फत दाखिल किया और कहा कि पैसे से किसी भी दिन का फोटो प्राप्त किया जा सकता है। एक अधिवक्ता ने बताया कि बार एसोसिएशन में 120 रूपये जमा कर फोटो आईडी एडिट कराई जाती है।

कोर्ट ने बार एसोसिएशन के सचिव विक्रांत पांडेय को सहयोग के लिए बुलाया और सुनवाई टालते हुए रिपोर्ट मांगी। बार एसोसिएशन ने जांच कर 23 सितंबर 24 को रिपोर्ट पेश की।

कहा 21 सितंबर 24 को पीड़िता को 12 मई 23 की तारीख की फ़ोटो दी गई है। कोर्ट ने कहा मामला गंभीर है। गंभीर अपराध हुआ है। दस्तावेजों की स्वतंत्र एजेंसी से जांच जरूरी है।

इसपर सीबीआई जांच का आदेश देते हुए रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने सभी संबंधित लोगों को जांच में सीबीआई को सहयोग देने तथा महानिबंधक को दस्तावेज व बार एसोसिएशन की रिपोर्ट की कापी सीबीआई को देने व उसे मूल पत्रावली का निरीक्षण करने की अनुमति देने का निर्देश दिया है।

याचिका की सुनवाई के समय दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के अलावा बार एसोसिएशन के महासचिव विक्रांत पांडेय, डिप्टी सालिसिटर जनरल ज्ञान प्रकाश,सीबीआई अधिवक्ता संजय यादव आदि मौजूद रहे।

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मनीष वर्मा
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