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वाणी एवं भाषा संबंधी दिव्यांगता वाले उम्मीदवार को सर्वोच्च अदालत ने मेडिकल एजुकेशन प्राप्त करने की अनुमति दी

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आगरा / नई दिल्ली 20 सितंबर।

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (18 सितंबर) को लगभग 45% वाणी एवं भाषा संबंधी दिव्यांगता वाले उम्मीदवार को एमबीबीएस पाठ्यक्रम में एडमिशन की अनुमति दी, क्योंकि कोर्ट द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड ने कहा था कि वह मेडिकल एजुकेशन प्राप्त कर सकता है।

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कोर्ट ने निर्देश दिया कि उम्मीदवार को उस सीट पर एडमिशन दिया जाए जिसे पहले खाली रखने का निर्देश दिया गया था।

जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ चुनौती पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें एमबीबीएस कोर्स में एडमिशन रद्द करने के खिलाफ अंतरिम राहत देने से इंकार किया गया।

हाईकोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा तैयार किए गए ‘ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन रेगुलेशन, 1997’ को चुनौती दी, जिसमें कहा गया कि 40% या उससे अधिक दिव्यांगता वाले व्यक्ति एमबीबीएस कोर्स करने के लिए पात्र नहीं होंगे।

उन्होंने तर्क दिया कि ये नियम दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 की धारा 32 के विपरीत हैं और उन्होंने यह घोषित करने की मांग की कि ऐसे नियम भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 19(1)(जी), 21 और 29(2) के विपरीत हैं।

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पीठ के समक्ष याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि उनकी एडमिशन सीट रद्द कर दी गई, क्योंकि उन्हें 44-45% तक बोलने और भाषा संबंधी दिव्यांगता है। उन्होंने प्रस्तुत किया कि उन्हें कोई ‘कार्यात्मक दुर्बलता या अयोग्यता’ नहीं है, जिससे उनकी शिक्षा पूरी करने में बाधा उत्पन्न हो।

याचिकाकर्ता ने कहा कि केंद्रीकृत एडमिशन प्रक्रिया (CAP) राउंड 1 के परिणाम 30 अगस्त को घोषित किए जाएंगे, जबकि हाईकोर्ट ने मामले को 19 सितंबर तक स्थगित कर दिया।

2 सितंबर को न्यायालय ने डीन, बायरामजी जीजीभॉय सरकारी मेडिकल कॉलेज, पुणे को एक या अधिक विशेषज्ञों से मिलकर मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया, जो यह जांच करेगा कि याचिकाकर्ता की वाणी और भाषा संबंधी दिव्यांगता एमबीबीएस डिग्री कोर्स करने में उसके आड़े आएगी या नहीं।

अभ्यर्थी की मेडिकल शिक्षा प्राप्त करने की क्षमता के बारे में न्यायालय द्वारा दी गई सकारात्मक रिपोर्ट के बाद न्यायालय ने उसे एडमिशन की अनुमति दे दी।

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सुनवाई के दौरान, न्यायालय ने दिव्यांग व्यक्तियों के लिए मेडिकल एजुकेशन की अनुमति देने के लिए अधिक लचीले और संवेदनशील दृष्टिकोण की आवश्यकता पर मौखिक रूप से जोर दिया। न्यायालय विस्तृत कारणों के साथ एक अलग निर्णय जारी करेगा।

सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट एस बी तालेकर, प्रज्ञा तालेकर और पुलकित अग्रवाल (एओआर) उपस्थित हुए, जबकि एडवोकेट गौरव शर्मा नेशनल मेडिकल कमीशन (एमएनसी) की ओर से उपस्थित हुए।

केस टाइटल: ओमकार रामचंद्र गोंड बनाम भारत संघ और अन्य

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विवेक कुमार जैन
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