इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीनियर एडवोकेट के बारे में शपथ पर गलत बयान देने के लिए तीन लोगों पर दो-दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया

उच्च न्यायालय मुख्य सुर्खियां

आगरा/ प्रयागराज 10 सितंबर।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीन याचिकाकर्ताओं पर 2-2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। उक्त लोगों ने हलफनामे में झूठा दावा किया था कि उनके पिछले वकील ने दूसरे वकील को नियुक्त करने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र देने से इनकार कर दिया था।

Also Read - 69000 शिक्षक भर्ती अभ्यर्थ‍ियों को राहत : हाईकोर्ट के फैसले पर फिलहाल सर्वोच्च अदालत ने लगाई रोक

याचिकाकर्ताओं ने न्यायालय में हलफनामा दायर कर कहा कि वे अपने पिछले वकील के काम से संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त (NOC) करने के लिए उनसे संपर्क किया था लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया। इसलिए याचिकाकर्ताओं ने हलफनामा दाखिल किया और दूसरे वकील को नियुक्त किया।

न्यायालय द्वारा पूछे जाने पर रिकॉर्ड पर मौजूद वकील (पिछले वकील) ने इस बात से इनकार कर दिया कि उनसे कोई अनापत्ति प्रमाण पत्र मांगा गया था।

न्यायालय ने पाया कि याचिकाकर्ताओं द्वारा नियुक्त किया गया नया वकील भी न्यायालय के समक्ष उपस्थित नहीं था।

Also Read - जाली शैक्षिक प्रमाण पत्र प्रस्तुत करके प्राप्त की गई सार्वजनिक नौकरी “आरंभ से ही अमान्य” : इलाहाबाद हाईकोर्ट

यह देखते हुए कि याचिकाकर्ताओं का आचरण सद्भावनापूर्ण नहीं था। जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी ने रिट याचिका खारिज की और प्रत्येक याचिकाकर्ता पर दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया, जिसे उन्हें हाईकोर्ट विधिक सेवा समिति, इलाहाबाद के समक्ष जमा करना था।

उन्होंने कहा,

“याचिकाकर्ताओं के वकील इस न्यायालय के बहुत सीनियर एडवोकेट हैं। न्यायालय को उनके सद्भावनापूर्ण बयान पर कोई संदेह नहीं है। इसलिए यह रिट याचिका न केवल खारिज की जाती है, बल्कि भारी जुर्माने के साथ खारिज की जाती है।”

केस टाइटल- मोहम्मद परवेज और 2 अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य।

Stay Updated With Latest News Join Our WhatsApp Group – Click Here

 

Source Link

विवेक कुमार जैन
Follow me

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *