सर्वोच्च न्यायालय के 90,000 निर्णयों का भारतीय भाषाओं में अनुवाद ऐतिहासिक कदम: जयदीप रॉय

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आगरा/भोपाल १९ जून।

न्यायिक क्षेत्र में भारतीय भाषाओं के बढ़ते उपयोग को देश के लिए एक शुभ संकेत बताते हुए, भारतीय भाषा अभियान के राष्ट्रीय संयोजक और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता जयदीप रॉय ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा 90,000 से अधिक निर्णयों का हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में एआई (AI) के माध्यम से अनुवाद करने को एक ऐतिहासिक कदम बताया है। उन्होंने कहा कि यह भारतीय भाषाओं के अच्छे दिनों का स्पष्ट संकेत है।

ये विचार उन्होंने भारतीय भाषा अभियान और पीपुल्स इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल स्टडी के संयुक्त तत्वावधान में भोपाल में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के समापन समारोह में व्यक्त किए। “न्यायालय में एवं विधि शिक्षा में भारतीय भाषाओं का प्रयोग” विषय पर केंद्रित इस कार्यशाला का समापन 15 जून 2025 को हुआ।

भारतीय भाषाओं के लिए शुभ संकेत:

जयदीप रॉय ने इस बात पर जोर दिया कि न्यायिक क्षेत्र में भारतीय भाषाओं का उपयोग बढ़ना देश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई ने हिंदी में शपथ ली है, जो भारतीय भाषाओं के लिए प्रेरणादायक है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि राष्ट्रपति और कई पूर्व व वर्तमान न्यायाधीशों ने विधि शिक्षा में भारतीय भाषाओं के महत्व पर अपने विचार रखे हैं। केरल हाईकोर्ट द्वारा भारतीय भाषाओं के उपयोग को “कल्चरल हेरिटेज” मानना भी एक सुखद घटनाक्रम है।

युवा अधिवक्ताओं को साथ लेने की आवश्यकता:

कार्यशाला में भारतीय भाषा अभियान द्वारा किए गए कार्यों और आगामी कार्ययोजना की जानकारी देते हुए जयदीप रॉय ने कहा कि इस अभियान को व्यापक गति देने की आवश्यकता है। इसके लिए युवा अधिवक्ताओं और बार एसोसिएशनों को साथ लेकर भारतीय भाषाओं के लिए संयुक्त रूप से कार्य करने की दिशा में प्रयास करने होंगे।

स्वतंत्रता के 75 साल बाद भी संघर्ष दुर्भाग्यपूर्ण:

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय संयोजक ए. विनोद ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में ‘फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन’ का उल्लेख है, लेकिन न्याय क्षेत्र में व्यक्ति को अपनी भाषा में न्याय प्राप्त करने और अपनी बात रखने की स्वतंत्रता अब तक नहीं है। उन्होंने इस स्थिति में परिवर्तन की आवश्यकता पर बल दिया।

पीपुल्स यूनिवर्सिटी के विधि विभाग के प्राचार्य डॉ. रविकांत गुप्ता ने भी इस बात पर दुख व्यक्त किया कि आजादी के 75 साल बाद भी भारतीय भाषाओं में न्याय के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।

बृज प्रांत संयोजक अंजलि वर्मा एडवोकेट ने बताया कि इस राष्ट्रीय कार्यशाला में बृज प्रांत सहित देश के विभिन्न प्रांतों से 100 से अधिक अधिवक्ताओं और प्रबुद्ध वर्ग के लोगों ने भाग लिया। कार्यशाला के दौरान अधिवक्ता परिषद के राष्ट्रीय मंत्री विक्रम दुबे, कर्नाटक से लक्ष्मीनारायण हेगड़े, संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष सुरेश गुप्ता, भारतीय भाषा अभियान काशी प्रांत के संयोजक अजय कुमार मिश्रा सहित कई विद्वानों ने अपने विचार व्यक्त किए।

सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और योग अभ्यास ने मन मोहा:

कार्यशाला में लोकगीत और लोक परंपरा पर आधारित एक सांस्कृतिक संध्या का भी आयोजन किया गया, जिसमें कथक नृत्य, ओडिया गीत, राधा-कृष्ण वेशभूषा में नृत्य और कर्नाटक की स्थानीय भाषा में प्रस्तुतियाँ दी गईं।

भीली और अन्य भाषाओं में गीतों के साथ-साथ महाराष्ट्र का प्रसिद्ध गोंधल सामूहिक नृत्य भी प्रस्तुत किया गया, जिसने पूरे सभागार को मंत्रमुग्ध कर दिया।

इसके अतिरिक्त, कार्यशाला के दौरान अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का पूर्व अभ्यास भी किया गया, जिसमें प्रतिभागियों ने योगाभ्यास में हिस्सा लिया।

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विवेक कुमार जैन
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