देश की सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार से पूछा की किसान आंदोलन के संबंध में केंद्र यह बयान क्यों नहीं दे सकता कि उनके दरवाजे किसानों के लिए खुले हैं ?

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किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल द्वारा दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट कर रहा है सुनवाई

आगरा /नई दिल्ली 02 जनवरी ।

सुप्रीम कोर्ट ने किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल द्वारा नेक्स्ट फ्रेंड गुनिन्दर कौर गिल के माध्यम से दायर याचिका पर सुनवाई की। इस याचिका में चल रहे किसान आंदोलन में उठाए गए बड़े मुद्दों में न्यायालय के हस्तक्षेप की मांग की गई, जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य की वैधानिक गारंटी की मांग भी शामिल थी।

सुनवाई के दौरान, न्यायालय ने मौखिक रूप से केंद्र सरकार से पूछा कि वह वास्तविक शिकायतों पर विचार करने के लिए तत्परता क्यों नहीं व्यक्त कर सकती ?

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की खंडपीठ के समक्ष जब मामला आया तो सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने स्पष्ट किया कि उन्हें इस याचिका के बारे में “कोई जानकारी नहीं” है।

जस्टिस भुइयां ने सवाल किया:

“मिस्टर मेहता, आप इतने दिनों से वहां हैं, आपका मुवक्किल यह बयान क्यों नहीं दे सकता कि हम वास्तविक शिकायतों पर विचार करेंगे। हम किसानों की वास्तविक शिकायतों के लिए खुले हैं ?”

जस्टिस कांत ने सुझाव दिया कि याचिकाकर्ता उच्चाधिकार प्राप्त समिति से संपर्क करें, जिसे प्रदर्शनकारी किसानों के साथ बातचीत के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित किया गया।

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जस्टिस कांत ने गिल से कहा,

“कुछ सोचिए। टकराव की स्थिति में नहीं जाना चाहिए। मैडम गिल, आप बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। पूर्व जज की समिति के बारे में सोचिए, जिनकी जड़ें कृषि क्षेत्र में हैं और जो दोनों राज्यों [हरियाणा और पंजाब] से हैं। हमने पंजाब और हरियाणा से कुछ विशेषज्ञों को शामिल करने के बारे में सोचा है, जो कृषि अर्थशास्त्री हैं.. या कृषि पेशे से जुड़े हैं। वे सभी विद्वान, तटस्थ लोग हैं। उनमें से किसी की भी ऐसी (राजनीतिक) पृष्ठभूमि नहीं है। दोनों पक्षों से नाम आए। अब वह समिति है तो आप इस मंच का उपयोग क्यों कर रहे हैं, क्योंकि हम किसानों से सीधे संवाद नहीं कर सकते।”

जब मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा गठित समिति है, जो गिल की याचिका में उठाए गए मुद्दों पर भी चर्चा कर सकती है, तो जस्टिस भुयान ने पूछा:

“केंद्र सरकार यह बयान क्यों नहीं दे सकती कि उनके दरवाजे किसानों के लिए खुले हैं?”

मेहता ने जवाब दिया कि इसमें “कई कारक” हैं, जिनके बारे में न्यायालय को जानकारी नहीं है।

उन्होंने कहा:

“अभी हम एक व्यक्ति [जगजीत सिंह दल्लेवाल, जो भूख हड़ताल पर हैं] के स्वास्थ्य तक ही सीमित हैं। केंद्र सरकार हर किसान के बारे में चिंतित है।”

जस्टिस कांत ने जब दोहराया कि न्यायालय इस पर नोटिस जारी कर रहा है तो मेहता ने इसका विरोध किया और कहा:

“क्या मैं अनुरोध कर सकता हूं ? नोटिस जारी करने के बजाय, वे मुझे एक प्रति दे सकते हैं।”

न्यायालय ने याचिका की प्रति संघ के वकील को सौंपने का निर्देश दिया। उन्हें 10 दिनों के भीतर इस मामले पर निर्देश प्राप्त करने के लिए कहा। न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति के सचिव को भी एक प्रति देने का निर्देश दिया गया।

जस्टिस कांत ने गिल के वकील से यह भी कहा कि वे मीडिया या अखबार में आने के लिए “दर्शकों के सामने नाटक” न करें।

केस टाइटल: गुनिन्दर कौर गिल जगजीत सिंह दल्लेवाल की नेक्स्ट फ्रेंड बनाम भारत संघ

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साभार: लाइव लॉ

विवेक कुमार जैन
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