सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि सरकारी कर्मचारियों को रिटायरमेंट से एक दिन पहले अर्जित वेतन वृद्धि का दावा करने की अनुमति देने वाला निर्णय तीसरे पक्ष पर संभावित रूप से होता है लागू

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आगरा /नई दिल्ली 28 फ़रवरी ।

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपने निर्णय निदेशक (प्रशासन और मानव संसाधन) केपीटीसीएल और अन्य बनाम सीपी मुंडिनमणि के संबंध में किए गए अपने अंतरिम स्पष्टीकरण की पुष्टि की, जिसमें कहा गया कि सरकारी कर्मचारी उस वेतन वृद्धि के हकदार हैं जो उन्होंने अपनी सेवानिवृत्ति के पिछले दिन अर्जित की थी।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सीपी मुंडिनमणि में दिया गया आदेश निर्णय की तिथि यानी 11.04.2023 से तीसरे पक्ष पर लागू होगा। इसका मतलब है कि एक वेतन वृद्धि को ध्यान में रखते हुए पेंशन 01.05.2023 को और उसके बाद देय होगी। 30.04.2023 से पहले की अवधि के लिए बढ़ी हुई पेंशन का भुगतान नहीं किया जाएगा।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) संजीव खन्ना (तत्कालीन जज) और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ ने 6 सितंबर, 2024 को कई अंतरिम निर्देश पारित किए थे।

संबंधित निर्देश इस प्रकार थे:

(1) दिनांक 11.04.2023 का निर्णय तीसरे पक्ष के मामले में निर्णय की तिथि से प्रभावी होगा, अर्थात एक वेतन वृद्धि को ध्यान में रखते हुए पेंशन 01.05.2023 को और उसके बाद देय होगी। 30.04.2023 से पहले की अवधि के लिए बढ़ी हुई पेंशन का भुगतान नहीं किया जाएगा।

(2) जिन व्यक्तियों ने रिट याचिका दायर की और सफल हुए, उनके लिए उक्त निर्णय में दिए गए निर्देश रिस ज्यूडिकेटा के रूप में कार्य करेंगे। तदनुसार, एक वेतन वृद्धि लेकर बढ़ी हुई पेंशन का भुगतान करना होगा।

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(3) (2) में दिए गए निर्देश लागू नहीं होंगे, जहां निर्णय अंतिम रूप से प्राप्त नहीं हुआ। ऐसे मामले जहां अपील पेश की गई, या यदि दायर की गई तो अपीलीय न्यायालय द्वारा विचार किया जाता है।

(4) यदि किसी सेवानिवृत्त कर्मचारी ने सिविल अपील नंबर 3933/2023 या किसी अन्य रिट याचिका में हस्तक्षेप/अभियोग के लिए कोई आवेदन दायर किया और लाभकारी आदेश पारित किया गया तो एक वेतन वृद्धि सहित बढ़ी हुई पेंशन उस महीने से देय होगी जिसमें हस्तक्षेप/अभियोग के लिए आवेदन दायर किया गया।
20 फरवरी, 2025 को पीठ ने निर्देश (ए), (बी) और (सी) की पुष्टि की और निर्देश (डी) को संशोधित किया।

संशोधित निर्देश (डी) में लिखा:

“(4) यदि किसी रिटायर कर्मचारी ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण/हाईकोर्ट/इस न्यायालय के समक्ष हस्तक्षेप/अभियोग/रिट याचिका/मूल आवेदन के लिए आवेदन दायर किया तो एक वेतन वृद्धि सहित बढ़ी हुई पेंशन उस महीने से तीन साल पहले की अवधि के लिए देय होगी, जिसमें हस्तक्षेप/अभियोग/रिट याचिका/मूल आवेदन के लिए आवेदन दायर किया गया।”

खंडपीठ ने आगे स्पष्ट किया कि कोई भी रिटायर सरकारी कर्मचारी जिसने यूनियन ऑफ इंडिया एंड एन.आर. बनाम एम. सिद्धराज दिनांक 19.05.2023 के निर्णय के बाद कैट के समक्ष रिट या मूल आवेदन या हस्तक्षेप दायर किया, वह निर्देश (ए) के अधीन होगा, न कि निर्देश (डी) के अधीन।
इसमें यह भी कहा गया,

“यदि बकाया सहित कोई अतिरिक्त भुगतान पहले ही किया जा चुका है तो भुगतान की गई ऐसी राशि की वसूली नहीं की जाएगी।”

यदि कोई व्यक्ति वर्तमान निर्देशों/स्पष्टीकरण के गैर-अनुपालन से व्यथित है तो न्यायालय ने उसे प्रथम दृष्टया संबंधित अधिकारियों से संपर्क करने की स्वतंत्रता भी दी है।

यदि आवश्यक हो तो पीड़ित पक्ष कानून के अनुसार प्रशासनिक न्यायाधिकरण या उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है।

एम सिद्धराज में जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ सीपी मुंडिनमणि मामले में समान मुद्दों को उठाने वाली अपीलों के एक सेट से निपट रही थी और उसने माना कि सीपी मुंडिनमणि में निर्णय पूरी तरह से अपीलों को कवर करता है।

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सीपी मुंडिनमणि में केपीटीसीएल ने कर्मचारियों को इस आधार पर वार्षिक वेतन वृद्धि से वंचित कर दिया कि वे अगले दिन रिटायर हो चुके हैं। कर्नाटक विद्युत बोर्ड कर्मचारी सेवा विनियमन, 1997 के विनियमन 40(1) पर भरोसा करते हुए, जिसमें कहा गया कि वेतन वृद्धि उस दिन से शुरू होती है, जिस दिन इसे अर्जित किया जाता है, अपीलकर्ता ने तर्क दिया कि जिस दिन वेतन वृद्धि वास्तव में कर्मचारियों को मिली, उस दिन वे सेवा में नहीं थे। हाईकोर्ट द्वारा इस तर्क को खारिज करने के बाद केपीटीसीएल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

सुप्रीम कोर्ट ने माना कि सरकारी कर्मचारियों को केवल इसलिए वार्षिक वेतन वृद्धि से वंचित नहीं किया जा सकता, क्योंकि वे वेतन वृद्धि अर्जित करने के अगले दिन ही सेवानिवृत्त होने वाले हैं।

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साभार: लाइव लॉ

विवेक कुमार जैन
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