आगरा उपभोक्ता आयोग प्रथम का ऐतिहासिक फैसला: ग्राहक की कार का इंजन बदलने और हर्जाना देने का आदेश

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आगरा:

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग प्रथम ने एक महत्वपूर्ण फैसले में एक कार डीलरशिप और उसकी निर्माता कंपनी को एक ग्राहक की कार का इंजन बदलने और हर्जाना देने का आदेश दिया है।

यह फैसला उपभोक्ता अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक बड़ा कदम माना जा रहा है। आयोग के अध्यक्ष माननीय सर्वेश कुमार और सदस्य राजीव सिंह ने यह आदेश पारित किया।

क्या था पूरा मामला ?

कमला नगर, आगरा के निवासी अंशुल गुप्ता ने अपने वकील मोहम्मद कफील अहमद के माध्यम से मेसर्स विमल कार्स प्राइवेट लिमिटेड (आगरा) और मेसर्स रिनॉल्ट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (चेन्नई) के खिलाफ आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी।

अंशुल गुप्ता ने साल 2016 में एक रेनो लॉजी कार खरीदी थी और उसकी नियमित सर्विस कंपनी के अधिकृत वर्कशॉप पर करवाते रहे।

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सर्विस के बाद खराब हुआ इंजन:

शिकायत के अनुसार, 24 जनवरी 2024 को अंशुल गुप्ता अपनी कार की सर्विस कराने के लिए विमल कार्स के वर्कशॉप पर पहुँचे। वहाँ जाँच के बाद 32,000/- रुपये का एस्टीमेट दिया गया।

अगले दिन, 25 जनवरी को, जब अंशुल गुप्ता अपनी सर्विस की हुई कार लेने गए, तो सर्विस इंचार्ज ने टेस्ट ड्राइव के दौरान पाया कि कार का इंजन तेज आवाज के साथ बंद हो गया। कार को धक्का देकर वापस वर्कशॉप लाया गया।

बढ़ता एस्टीमेट और शिकायत:

इसके बाद, 31 जनवरी 2024 को वर्कशॉप ने कार का इंजन ठीक करने के लिए 93,000/- रुपये का एक नया और बड़ा एस्टीमेट दिया।

इस पर, अंशुल गुप्ता ने महसूस किया कि यह कंपनी की लापरवाही और सेवा में कमी का मामला है, जिसके बाद उन्होंने उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कराई।

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आयोग का सख्त आदेश:

मामले की सुनवाई के बाद, जिला उपभोक्ता आयोग ने पाया कि सर्विस के दौरान हुई लापरवाही के कारण ही कार के इंजन में खराबी आई। आयोग ने विपक्षी कंपनियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि वे अंशुल गुप्ता की कार में एक नया इंजन लगाकर दें। इसके साथ ही, मानसिक उत्पीड़न और सेवा में कमी के लिए 15,000/- रुपये का हर्जाना भी अदा करें।

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आयोग ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया कि अगर विपक्षी कंपनी इस आदेश का पालन करने में विफल रहती है, तो उन्हें 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ 4,76,894/- रुपये की पूरी राशि उपभोक्ता को चुकानी होगी।

यह फैसला दर्शाता है कि उपभोक्ता आयोग उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और कंपनियों को उनकी लापरवाही के लिए जवाबदेह ठहराया जा सकता है।

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विवेक कुमार जैन
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