आगरा /प्रयागराज 13 फरवरी ।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को राज्य भर में आवासीय, कॉमर्शियल और औद्योगिक क्षेत्रों में अनधिकृत निर्माणों की समस्या से निपटने के लिए पूरी योजना विकसित करने का निर्देश दिया।
जस्टिस अताउ रहमान मसूदी और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने राज्य सरकार से राज्य की कंपाउंडिंग प्रक्रिया के अलावा अनधिकृत निर्माणों से निपटने की उसकी योजनाओं के बारे में भी पूछा। अपने आदेश में खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि यदि स्वीकृत योजनाओं की आधारभूत संरचना में परिवर्तन किया जाता है तो कंपाउंडिंग भवनों को अनुमति नहीं दी जाएगी।
इसके अतिरिक्त, न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि जहां भी स्वीकृत योजनाओं से हटकर कोई संरचना प्लिंथ स्तर तक उठाई गई, वहां मामले को सख्ती से संबोधित करने के लिए आवश्यक सर्वेक्षण किया जाना चाहिए। ये निर्देश 2012 में लेफ्टिनेंट कर्नल अशोक कुमार (रिटायर) द्वारा लखनऊ में उठाए गए अवैध निर्माणों के संबंध में जनहित याचिका में जारी किए गए, जिसमें लखनऊ विकास प्राधिकरण ने कोई कार्रवाई नहीं की थी।
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पिछले 13 वर्षों में इस जनहित याचिका ने इसी तरह के मुद्दों को उठाने वाली कई अन्य याचिकाओं को भी टैग किया। इस साल जनवरी में याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने आवास और शहरी नियोजन विभाग, यूपी लखनऊ के प्रमुख सचिव से अपना हलफनामा दाखिल करने को कहा, जिसमें उन अनधिकृत निर्माणों से निपटने के लिए शुरू किए जाने वाले उपायों का विवरण हो, जिनके संबंध में आदेश पहले ही पारित किए जा चुके हैं।
अदालत ने यह भी स्पष्टीकरण मांगा कि विकास प्राधिकरणों की नजरों से ओझल हुए इतने बड़े पैमाने पर निर्माण कैसे हो गए ? हालांकि, खंडपीठ के समक्ष एक हलफनामा दायर किया गया लेकिन अदालत ने इसे असंतोषजनक पाया ।
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साभार: लाइव लॉ