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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों को शिक्षा का अधिकार अधिनियम का अनुपालन न करने वाले मदरसों को बंद करने से रोका

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आगरा /नई दिल्ली 21 अक्टूबर ।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (21 अक्टूबर) को केंद्र सरकार और राज्यों को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर ) द्वारा जारी किए गए संचार पर कार्रवाई करने से रोका, जिसमें शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 (आरटीई एक्ट ) का अनुपालन न करने वाले मदरसों की मान्यता वापस लेने और सभी मदरसों का निरीक्षण करने के लिए कहा गया था।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने एनसीपीसीआर की कार्रवाई को चुनौती देने वाली इस्लामी मौलवियों के संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए अंतरिम आदेश पारित किया।

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07 जून, 2024 को एनसीपीसीआर ने उत्तर प्रदेश राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर निर्देश दिया कि आरटीई एक्ट का अनुपालन न करने वाले मदरसों की मान्यता वापस ली जाए।

25 जून, 2024 को एनसीपीआर ने भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव को पत्र लिखकर सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को यूपीआईएसई कोड के साथ मौजूदा मदरसों का निरीक्षण करने के निर्देश जारी करने के लिए कहा।

आरटीई एक्ट, 2009 के तहत मानदंडों का पालन नहीं करने वाले मदरसों की मान्यता और यूपीआईएसई कोड को तत्काल प्रभाव से वापस लेने की मांग की गई।

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एनसीपीसीआर ने केंद्र से यह भी अनुरोध किया कि यूपीआईएसई प्रणाली को मदरसों तक न बढ़ाया जाए। एनसीपीसीआर ने केंद्र से सिफारिश की कि मान्यता प्राप्त, गैर-मान्यता प्राप्त और बिना मैप किए गए सभी मदरसों के बारे में जानकारी एकत्र करने के लिए यूडीआईई की एक अलग श्रेणी बनाई जा सकती है।

इसके बाद 26 जून, 2024 को उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव ने सभी जिला कलेक्टरों को “राज्य में सभी सरकारी सहायता प्राप्त/मान्यता प्राप्त मदरसों की विस्तृत जांच करने के लिए” लिखा, जो गैर-मुस्लिम बच्चों को प्रवेश देते हैं” और “मदरसों में नामांकित सभी बच्चों का स्कूलों में तत्काल प्रवेश सुनिश्चित करने के लिए”।त्रिपुरा सरकार ने 28 अगस्त, 2024 को इसी तरह का निर्देश जारी किया था।

10 जुलाई, 2024 को केंद्र सरकार ने सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को एनसीपीसीआर के निर्देश के अनुसार कार्रवाई करने के लिए लिखा।

संविधान के अनुच्छेद 30 के अनुसार धार्मिक अल्पसंख्यकों को शिक्षा प्रदान करने के अधिकार का उल्लंघन बताते हुए इन निर्णयों को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

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नोटिस जारी करते हुए न्यायालय ने निर्देश दिया कि अगले आदेशों तक एनसीपीसीआर के दिनांक 07.06.2024 और 25.06.2024 के संचार और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव के दिनांक 26.06.2024 के परिणामी संचार और भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव द्वारा जारी दिनांक 10.07.2024 के संचार और त्रिपुरा सरकार द्वारा जारी दिनांक 28.08.2024 के संचार पर कार्रवाई नहीं की जाएगी।

जयसिंह द्वारा किया गया मौखिक अनुरोध स्वीकार करते हुए पीठ ने याचिकाकर्ता को याचिका में सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को पक्षकार बनाने की स्वतंत्रता प्रदान की।याचिका एओआर फुजैल अहमद अय्यूबी के माध्यम से दायर की गई।

केस टाइटल: जमीयत उलेमा-ए-हिंद बनाम राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और अन्य

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साभार: लाइव लॉ

विवेक कुमार जैन
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