याचिका में न्यायालय से केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है वह व्हाट्सएप द्वारा नए आईटी नियमो का अनुपालन करें सुनिश्चित
व्हाट्स एप अनुपालन करने से इंकार करता है तो एप के संचालन पर लगाया जाए प्रतिबंध
आगरा/नई दिल्ली 15 नवंबर ।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक जनहित याचिका (पीआईएल) खारिज कर दी, जिसमें नए सूचना प्रौद्योगिकी नियमों (आईटी नियमों) का पालन करने से इंकार करने पर व्हाट्सएप के संचालन पर प्रतिबंध लगाने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी।
न्यायमूर्ति एम.एम.सुंदरेश और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की खंडपीठ ने आज इस आशय का आदेश पारित किया।
याचिकाकर्ता ओमनाकुट्टन केजी ने पहले केरल उच्च न्यायालय का रुख किया था, जिसमें केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी कि अगर व्हाट्सएप सरकारी अधिकारियों द्वारा जारी आदेशों का पालन नहीं करता है तो उस पर प्रतिबंध लगा दिया जाए।
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ओमनाकुट्टन ने यह याचिका तब दायर की जब व्हाट्सएप ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 (आईटी नियम) को चुनौती देते हुए दिल्ली न्यायालय का रुख किया।
जून 2021 में केरल उच्च न्यायालय ने उस जनहित याचिका को ‘समय से पहले’ होने के कारण खारिज कर दिया।
तब इसने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष वर्तमान जनहित याचिका को प्रेरित किया।
उच्च न्यायालय के समक्ष, याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया था कि व्हाट्सएप ने दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष दावा किया था कि वह आईटी नियम, 2021 के लिए उत्तरदायी नहीं है क्योंकि एप का एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन उसे संदेशों की उत्पत्ति का पता लगाने से रोकता है।
हालांकि, व्हाट्सएप की गोपनीयता नीति स्वयं कहती है कि यह कुछ परिस्थितियों में उपयोगकर्ताओं द्वारा भेजे गए संदेशों को संग्रहीत करेगा और इसके पास उनके संपर्कों और अन्य सूचनाओं तक पहुंच भी है।
इसके अलावा, एप में सुरक्षा की कमी है, यह राष्ट्र-विरोधी है और इसमें असामाजिक तत्व भरे पड़े हैं जो फर्जी खबरें और तस्वीरें फैलाते हैं।
इस बात पर प्रकाश डाला गया कि अदालती समन और कानूनी नोटिस भेजने के लिए व्हाट्सएप जैसी मैसेजिंग सेवाओं पर निर्भरता भी खतरे में है क्योंकि ऐसे संदेशों की प्रामाणिकता की गारंटी नहीं दी जा सकती।
[ओमानकुट्टन केजी बनाम व्हाट्सएप एप्लीकेशन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड और अन्य]
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साभार: बार & बेंच
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