आगरा / नई दिल्ली 18 सितंबर ।
सुप्रीम कोर्ट ने गर्मियों के महीनों में वकीलों को काले कोट पहनने से छूट देने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए अदालतों में ड्रेस कोड की मर्यादा बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया।
याचिकाकर्ता के वकील ने कोट और गाउन की अनिवार्यता से छूट मांगी, जबकि बैंड रखने की मांग की, क्योंकि वकीलों को विशेष रूप से ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट में अत्यधिक गर्मी का सामना करना पड़ता है।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि वकीलों को उचित पोशाक पहननी चाहिए, कोर्ट में शॉर्ट्स और टी-शर्ट जैसे कैजुअल कपड़े पहनने से मना किया।
सीजेआई ने कहा,
“आपको कुछ पहनना होगा ? हम लोगों को शॉर्ट्स और टी-शर्ट पहनकर कोर्ट में नहीं आने दे सकते, कुछ मर्यादा होनी चाहिए।”
सीजेआई ने सुझाव दिया कि याचिकाकर्ता इस मामले को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) और हाईकोर्ट के समक्ष उठाए, क्योंकि वे ऐसे मामलों पर निर्णय लेने के लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने आगे दोहराया कि न्यायालय में शिष्टाचार बनाए रखने के लिए उचित पोशाक आवश्यक है।
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सीजेआई ने यह भी कहा कि कई हाईकोर्ट ने गर्मी के मौसम में गाउन पहनने से छूट दी है।
उन्होंने कहा,
“आप बार के सदस्य हैं, कुछ शिष्टाचार। आप क्या पहनेंगे, आपको उचित पोशाक पहनकर आना होगा, यह शिष्टाचार का मामला है।”
पीठ ने याचिका वापस लेते हुए खारिज की, जबकि यह नोट किया कि वकील एडवोकेट एक्ट 1961 के तहत ड्रेस कोड में उपयुक्त संशोधन के लिए BCI और केंद्र सरकार को अभ्यावेदन देने के लिए सहमत हुए।

केस टाइटल: शैलेंद्र मणि त्रिपाठी बनाम बार काउंसिल ऑफ इंडिया और अन्य। डायरी नंबर 24405-2024
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