सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति के आदेश की अनदेखी कर कुछ संरचनाओं को गिराने के लिए पटना नगर निगम और जिला प्रशासन के अधिकारियों की कड़ी आलोचना की।
इस मामले में याचिकाकर्ता कथित तौर पर सार्वजनिक भूमि पर उनके द्वारा बनाए गए घरों और इमारतों को गिराने के निर्देशों से व्यथित थे।
याचिकाकर्ताओं ने बिहार सार्वजनिक भूमि अतिक्रमण अधिनियम, 1956 की धारा 11 के तहत पारित बेदखली आदेशों को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट के समक्ष रिट याचिकाएं दायर की थीं। हालांकि, हाईकोर्ट ने उन्हें राहत देने से इनकार किया, जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
22 मार्च, 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने निम्नलिखित अंतरिम आदेश पारित किए: “1. नोटिस जारी करें, जिसका 17.05.2024 को जवाब दिया जाना है। 2. इस बीच, वैधानिक अपील लंबित रहने तक पक्षकारों को साइट पर तोड़फोड़ और आगे के निर्माण के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया जाता है। 3. अपीलीय प्राधिकारी-सह-जिला मजिस्ट्रेट, पटना को छह सप्ताह के भीतर कानून के अनुसार लंबित अपील का फैसला करने और हाईकोर्ट को अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाता है।”
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