न्यायाधीश के घर में आग लगने से अनजाने में बेहिसाब नकदी हुई थी बरामद
आगरा/नई दिल्ली 21 मार्च ।
सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ आंतरिक जांच शुरू की, क्योंकि उनके आवास से भारी मात्रा में बेहिसाबी नकदी बरामद हुई थी।
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय से भी रिपोर्ट मांगी है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, न्यायाधीश के घर में आग लगने के कारण अनजाने में दमकलकर्मियों को भारी मात्रा में नकदी मिल गई थी।
इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति वर्मा को उनके पैतृक उच्च न्यायालय इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वापस भेजने का फैसला किया था।
हालांकि, शुक्रवार की सुबह सर्वोच्च न्यायालय के सभी न्यायाधीशों की पूर्ण न्यायालय बैठक में यह सुझाव दिया गया कि दंडात्मक स्थानांतरण पर्याप्त नहीं होगा और न्यायाधीश के खिलाफ कुछ ठोस कार्रवाई की जानी चाहिए।
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इसके बाद पूर्ण न्यायालय ने सर्वसम्मति से आंतरिक जांच के लिए सहमति व्यक्त की, जिसमें पहला कदम स्थानांतरण होगा।
स्थानांतरण की प्रक्रिया चल रही है, हालांकि इसे अभी सरकार द्वारा मंजूरी नहीं दी गई है।
इस बीच, न्यायमूर्ति वर्मा ने आज अदालत में पेश नहीं हुए और उनके न्यायालय कर्मचारियों ने खुली अदालत में खुलासा किया कि वे छुट्टी पर हैं।
न्यायमूर्ति वर्मा का जन्म 1969 में हुआ था। उन्होंने मध्य प्रदेश के रीवा विश्वविद्यालय से एल.एल.बी. की डिग्री पूरी की और 1992 में अधिवक्ता के रूप में नामांकन कराया।
एक वकील के रूप में, उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के लिए विशेष वकील और उत्तर प्रदेश राज्य के लिए मुख्य स्थायी वकील के रूप में कार्य किया।
उन्हें 2013 में वरिष्ठ अधिवक्ता नामित किया गया और अक्टूबर 2014 में उन्हें उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया। उन्हें फरवरी 2016 में स्थायी न्यायाधीश बनाया गया। बाद में उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया, जहाँ उन्होंने 11 अक्टूबर, 2021 को पदभार ग्रहण किया।
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साभार: बार & बेंच
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