सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट जजों के फोन टैपिंग का मामले में मीडिया आउटलेट के एमडी को दिया अंतरिम संरक्षण

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सुप्रीम कोर्ट ने जांच में सहयोग करने को कहा

आगरा/नई दिल्ली 24 मार्च ।

सुप्रीम कोर्ट ने तेलुगु मीडिया आउटलेट के प्रबंध निदेशक अरुवेला श्रवण कुमार को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया, जिससे उन्हें जांच के उद्देश्य से अमेरिका से भारत आने की अनुमति मिल सके। कुमार बीआरएस सरकार के शासनकाल के दौरान नौकरशाहों और हाईकोर्ट जजों के खिलाफ कथित रूप से किए गए अवैध फोन-टैपिंग ऑपरेशन के आरोपियों में से एक हैं।

पिछले साल तेलंगाना हाईकोर्ट ने अवैध फोन-टैपिंग ऑपरेशन में स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्यवाही शुरू की थी। इसने यह कहते हुए मामले को उठाया था कि यह मुद्दा “राष्ट्रीय सुरक्षा” से जुड़ा है न कि केवल निजता के अधिकार का उल्लंघन है।

जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ मार्च में पारित एक आदेश के माध्यम से कुमार को अग्रिम जमानत देने से इंकार करने वाले तेलंगाना हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

कुमार की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट दामा शेषाद्रि नायडू ने अनुरोध किया कि एसएलपी में नोटिस जारी किया जाए और इस बीच उन्हें कुछ अंतरिम संरक्षण दिया जाए। इसके खिलाफ तेलंगाना राज्य की ओर से पेश वकील ने किसी भी अंतरिम संरक्षण का पुरजोर विरोध किया। उन्होंने कहा कि कुमार के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए नायडू ने कहा:

“मी लॉर्ड, मैंने उन्हें पत्र लिखा है। मैं हमेशा उपलब्ध हूं। उन्होंने मुझे धारा 41ए [सीआरपीसी ] के तहत एक भी नोटिस नहीं भेजा है।”

राज्य के वकील ने टिप्पणी की कि कुमार पिछले एक साल से फरार है। अंतरिम संरक्षण न दिए जाने की दलील पर जस्टिस नागरत्ना ने मौखिक रूप से पूछा कि क्या राज्य उन्हें गिरफ्तार करेगा? उन्होंने जवाब दिया कि राज्य उन्हें गिरफ्तार करने में असमर्थ है, क्योंकि वह वर्तमान में अमेरिका में हैं।

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इस पर जस्टिस नागरत्ना ने सुझाव दिया कि प्रत्यर्पण प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि अंतरिम संरक्षण वास्तव में राज्य के लिए फायदेमंद होगा, क्योंकि उन्हें अदालत के आदेश का जवाब देना होगा और भारत वापस आना होगा।

जस्टिस नागरत्ना ने कहा,

“हम आपको एक बात बताते हैं, अगर हम उसे अभी सुरक्षा नहीं देंगे तो वह कभी भारत नहीं आएगा। उसे आने दीजिए। मान लीजिए कि उसे नोटिस मिलता है कि उसे जांच के लिए आना है तो उसे भारत आना ही होगा।”

आदेश में कहा गया,

“उपर्युक्त परिस्थिति में हम याचिकाकर्ता को अगली सुनवाई की तारीख तक अंतरिम सुरक्षा प्रदान करना उचित पाते हैं, बशर्ते कि याचिकाकर्ता जांच में सहयोग करे। यह कहने और देखने की आवश्यकता नहीं है कि यदि याचिकाकर्ता के लिए संबंधित जांच अधिकारी के समक्ष उपस्थित होने का समय और तारीख तय की जाती है तो उसे ऐसा करना होगा और भारत आने के लिए दिए गए समय के अधीन उक्त आदेश का पालन करना होगा।”

यह आश्वासन देते हुए कि न्यायालय के आदेश का पालन किया जाएगा, नायडू ने कहा:

“हम वचन देते हैं कि वह 48 घंटे के भीतर यहां आ जाएगा।”

जनवरी में इसी पीठ ने निलंबित पुलिस अधिकारी मेकला थिरुपथन्ना को भी जमानत दी थी, जो इस मामले में आरोपी भी हैं।

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हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस आलोक अराधे और जस्टिस विनोद कुमार की विशेष पीठ ने डेक्कन क्रॉनिकल में प्रकाशित एक नए लेख के बाद मामले की सुनवाई की, जिसमें दावा किया गया कि प्रतिद्वंद्वी राजनेताओं के अलावा, हाईकोर्ट के न्यायाधीश भी फोन-टैपिंग घोटाले का लक्ष्य बन गए हैं।

यह मुद्दा दिसंबर 2023 में सामने आया, जब कांग्रेस ने चुनाव जीता और तेलंगाना राज्य में सत्ता में आई। कोर्ट इस मामले की सुनवाई 28 अप्रैल को करेगा।

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साभार: लाइव लॉ

विवेक कुमार जैन
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