38 नालों की टैपिंग के लिए मंजूरी की प्रक्रिया अंतिम चरण में
कोर्ट ने एक महीने में कार्य शुरू करने को कहा।
कोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा शपथ पत्र कि 6 अनटैप्ड नालों की स्थिति स्पष्ट करें
सर्वोच्च अदालत ने कहा कि डीपीआर के बहाने नहीं चलेंगे, अब 4 महीने में पूरा हो टैपिंग का हर कार्य
यमुना याचिका की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट की सख्ती
अनुपालन आख्या तक मामला रहेगा लंबित
आगरा १ मई ।
आगरा डवलपमेन्ट फाउन्डेशन के द्वारा यमुना डिसिल्टिंग की याचिका की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट द्वारा गुरुवार को न्यायमूर्ति अभय एस ओका एवं न्यायमूर्ति उज्जवल भुआन की पीठ द्वारा की गयी । जिसमें मुख्य रूप से यमुना में प्रवाहित होने वाले नालों की अन्तरिम व अन्तिम व्यवस्थाओं के सम्बन्ध में विचार किया।
न्यायालय ने कहा कि नगर निगम आगरा ने अपने शपथ पत्र में 23 अनटेप्ड नालों के टैपिंग के कार्य को अप्रैल 2025 तक पूरा करने की बात कही थी लेकिन उसके अनुपालन का कोई ब्यौरा नहीं है। इसको लेकर न्यायालय ने आदेश दिया कि इन 23 अनटेप्ड नालों का टैपिंग का कार्य 15 मई तक पूरा कर दिया जाये तथा अनुपालन आख्या अगले एक सप्ताह के अन्दर दाखिल कर दी जाये।
38 अनटैप्ड नालों के सम्बन्ध में परियोजना राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन को भेजी गयी है। जिसके सम्बन्ध में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी द्वार न्यायालय के समक्ष नोट प्रस्तुत किया गया कि यूपी जल निगम (अर्बन) द्वारा संशोधित डीपीआर प्रस्तुत की गयी है।
न्यायालय ने आदेश दिया कि मिशन द्वारा अगली एक्जीक्यूटिव बैठक में डीपीआर को स्वीकृत कर दिया जाये। जिसके बाद कार्य को तुरन्त शुरू कर दिया जाये जिसके सम्बन्ध में जल निगम अर्बन द्वारा कार्य समाप्त करने की समय सीमा एक माह के अन्दर शपथ पत्र दाखिल कर बतायी जायेगी। लेकिन उसकी आखिरी तिथि किसी भी स्थिति में मिशन द्वारा स्वीकृति की दिनांक से 03 माह से अधिक नहीं होगी।
शपथ पत्र में 6 अनटेप्ड नालों के सम्बन्ध में स्थिति स्पष्ट नहीं है जिसके लिये राज्य सरकार द्वारा शपथ पत्र प्रस्तुत करना होगा और इन 6 अनटैप्ड नालों की टैपिंग का कार्य 4 माह के अन्दर पूरा करना होगा। यह याचिका सभी अनुपालन आख्याओं तक लम्बित रहेगी। जब न्यायमित्र एडीएन राव द्वारा न्यायालय को यह इंगित किया गया कि इस कार्य को समाप्त करने के लिए डीपीआर में क्या समय सीमा है तो न्यायालय ने स्पष्ट किया कि 4 माह के अन्दर कार्य को समाप्त करना होगा।
याचिका दाखिल करने वाले अधिवक्ता के0सी0 जैन का बयानः
सुप्रीम कोर्ट का आदेश स्वागत योग्य है जिसमें यमुना में गिरने वाले सभी नालों की टैपिंग 4 माह में पूरी करने को कहा गया है। अब समय है कि नगर निगम और जल निगम बिना देरी के इस पर अमल करें। यमुना हमारी सांस्कृतिक और पर्यावरणीय धरोहर है। इसका संरक्षण हम सबकी जिम्मेदारी है। यह आदेश यमुना को स्वच्छ और जीवंत बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
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