आगरा: १० जून
यौन उत्पीड़न और दुष्कर्म की शिकार महिलाओं के चिकित्सीय परीक्षण को लेकर आगरा में एक गंभीर मुद्दा सामने आया है। अधिवक्ता अर्जुन सिंह ने जिला जज माननीय संजय कुमार मलिक से आग्रह किया है कि वह पुलिस द्वारा लैंगिक अपराधों की पीड़ितों का चिकित्सीय परीक्षण अनुभवी महिला डॉक्टरों से कराने के निर्देश दें, क्योंकि वर्तमान में ‘गैर अनुभवी’ ग्रामीण क्षेत्र के डॉक्टरों से यह कार्य कराया जा रहा है, जिससे पीड़ितों को न्याय मिलने में बाधा आ रही है।
अधिवक्ता द्वारा लगाये गए आरोप ?
अधिवक्ता अर्जुन सिंह ने जिला जज माननीय संजय कुमार मलिक को दिए गए प्रार्थना पत्र में बताया है कि नियमानुसार लैंगिक अपराध की पीड़ित महिलाओं का चिकित्सीय परीक्षण जिला महिला चिकित्सालय, आगरा में तैनात वरिष्ठ और अनुभवी विशेषज्ञ महिला चिकित्सा अधिकारियों द्वारा किया जाता रहा है। यह प्रक्रिया पीड़ितों को न्याय दिलाने में सहायक होती है।
हालांकि, अधिवक्ता का आरोप है कि प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक, जिला महिला चिकित्सालय, आगरा डॉ. रचना गुप्ता द्वारा कार्यभार ग्रहण करने के बाद से, जिला महिला चिकित्सालय में नियुक्त वरिष्ठ और अनुभवी महिला चिकित्सकों को मेडिको-लीगल कार्य से हटा दिया गया है। इसके बजाय, ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत गैर-अनुभवी महिला डॉक्टरों से ऐसे मामलों का मेडिको-लीगल परीक्षण कराया जा रहा है। अधिवक्ता का कहना है कि इस बदलाव से पीड़ितों का अहित हो रहा है।
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देरी और न्याय की संभावना पर असर:
अर्जुन सिंह ने अपनी शिकायत में यह भी उजागर किया कि ग्रामीण क्षेत्र में कार्यरत डॉक्टरों की ड्यूटी सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक होती है, जिसके बाद वे ऑन-कॉल रहते हैं। जबकि, जिला महिला चिकित्सालय में आपातकालीन सेवाओं के लिए चिकित्सा अधिकारी रोस्टर के अनुसार 24 घंटे उपलब्ध रहते हैं।ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात महिला डॉक्टरों के आने में होने वाली देरी के कारण, पीड़ित को कभी-कभी स्नान करना पड़ता है या कपड़े बदलने पड़ते हैं, जिससे सबूतों के नष्ट होने की आशंका बढ़ जाती है और उन्हें न्याय मिलने की संभावना धूमिल हो जाती है।
जिला जज से हस्तक्षेप की अपील:
अधिवक्ता अर्जुन सिंह ने जिला जज से आग्रह किया है कि वे प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक, जिला महिला चिकित्सालय, आगरा को निर्देशित करें कि वे लैंगिक अपराधों की पीड़ितों का चिकित्सीय परीक्षण अनुभवी और विशेषज्ञ महिला डॉक्टरों से ही कराएं, ताकि पीड़ितों को समय पर और समुचित न्याय मिल सके।
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