आगरा ।
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग-प्रथम के अध्यक्ष माननीय सर्वेश कुमार और सदस्य राजीव सिंह ने एक महिला के पक्ष में फैसला सुनाते हुए बीमा कंपनी को निर्देश दिया है कि वह एक कार के कुल नुकसान (total loss) के लिए महिला को 4,37,040/- रुपये का भुगतान करे।
यह राशि वाहन के घोषित बीमा मूल्य (IDV) से 10% की कटौती के बाद तय की गई है। इसके अतिरिक्त, बीमा कंपनी को मानसिक पीड़ा के लिए 20,000/- रुपये और वाद-व्यय के लिए 10,000/- रुपये भी देने का आदेश दिया गया है। यह आदेश 17 सितंबर, 2025 को सुनाया गया।
मामला क्या था ?
प्रेमवती (उर्फ सत्यवती) नामक महिला ने 31 अगस्त, 2020 को अशोक ऑटो सेल्स से एक टाटा एसीई गोल्ड डीजल मॉडल वाहन खरीदा था। इस वाहन का बीमा एचडीएफसी ईआरजीओ जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड से 4,85,600/- रुपये के घोषित बीमा मूल्य (IDV) के लिए कराया गया था।
6 फरवरी, 2021 को, वाहन में आग लग गई और वह पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया। प्रेमवती ने बीमा कंपनी के पास क्लेम दायर किया, लेकिन बीमा कंपनी ने 17 मार्च, 2021 को यह कहते हुए क्लेम खारिज कर दिया कि वाहन में “तकनीकी खराबी” (manufacturing defect) थी।

आयोग का फैसला:
आयोग ने पाया कि बीमा कंपनी ने अपने दावे को साबित करने के लिए कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया। इसके बजाय, आयोग ने कहा कि बीमा कंपनी ने “मनमाने तरीके से” क्लेम खारिज करके सेवा में कमी और अनुचित व्यापार व्यवहार किया है।
आयोग ने अपने फैसले में कहा कि वाहन में आग “वायरिंग की समस्या” के कारण लगी, लेकिन बीमा कंपनी इस बात का कोई विशेषज्ञ सबूत नहीं दे पाई कि यह समस्या निर्माण दोष थी।
इसके अलावा, आयोग ने यह भी कहा कि अगर कोई वाहन सर्विसिंग के लिए कई बार गया है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि उसमें निर्माण दोष था।

अतः, आयोग ने बीमा कंपनी को निर्देश दिया कि वह 45 दिनों के भीतर प्रेमवती को 4,37,040/- रुपये का भुगतान करे। यह राशि 28 जून, 2022 से 6% वार्षिक ब्याज के साथ देय होगी। अगर बीमा कंपनी इस अवधि में भुगतान करने में विफल रहती है, तो ब्याज दर 9% प्रति वर्ष हो जाएगी।
आयोग ने टाटा मोटर्स, अशोक ऑटो सेल्स और एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेज के खिलाफ दायर शिकायत को खारिज कर दिया, क्योंकि एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेज ने ऋण चुकाने का प्रमाण पत्र (नो -ड्यूज सर्टिफिकेट ) पहले ही जारी कर दिया था, और अन्य दो कंपनियों ने अपना पक्ष रखने के लिए कोई लिखित बयान पेश नहीं किया था।
Attachment/Order/Judgement – premvati
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