सुप्रीम कोर्ट सड़क सुरक्षा कमेटी राज्यों का पक्ष जानकर सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट 02 मार्च तक करेगी प्रस्तुत
सड़क सुरक्षा के अन्य अनेक मुद्दों पर सुनवाई के लिये 31 जनवरी नियत
आगरा /नई दिल्ली 22 जनवरी ।
इलैक्ट्रोनिक निगरानी से सड़क सुरक्षा की वैधानिक आवश्यकता के लिए बनाये गए कानून के संबंध में दायर याचिका पर 20 जनवरी को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अभय एस ओका एवं न्यायमूर्ति उज्जवल भुआन की पीठ ने देश के राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों से इलैक्ट्रोनिक निगरानी के लिये किये गये इन्तजामों को लेकर अनुपालन आख्या मांगी है ।
इन प्राविधानों के तहत स्पीड कैमरा, सीसीटीवी कैमरा, स्पीड गन, बाडी वाल केमरा, डेशबोर्ड केमरा, आटोमेटिक नम्बर प्लेट पहचान प्रणालीं और वजनी मशीन जैसे आधुनिक उपकरणों को अनिवार्य किया गया है।
ज्ञातव्य है कि मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 136 ए का प्राविधान 17 जुलाई 2021 को लागू हो गया और केन्द्रीय मोटर वाहन नियमावली, 1989 के नियम 167 ए में 12 प्रकार के सड़क नियमों के उल्लंघनों को ई-चालान किये जाने का प्राविधान भी 17 अगस्त 2021 को बन गया ।लेकिन राज्यों के द्वारा अभी तक इलैक्ट्रोनिक निगरानी के लिये कोई भी व्यवस्थायें नहीं की गयी हैं । जिसको लेकर आगरा के रोड सेफ्टी एक्टिविस्ट व वरिष्ठ अधिवक्ता के0सी0 जैन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी ।
सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई के दौरान पूर्व में नियुक्त सुप्रीम कोर्ट रोड सुरक्षा कमेटी से भी यह अनुरोध किया कि वह सभी राज्यों के प्रतिनिधियों को बुलाकर बात करें और अपनी स्टेटस रिपोर्ट दिनांक 02 मार्च 2025 तक प्रस्तुत करें। यदि कमेटी के कोई सुझाव हैं तो वह भी दे ताकि उस सम्बन्ध में न्यायालय कोई आदेश पारित कर सके।
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इलैक्ट्रोनिक निगरानी का आदेश न्यायालय द्वारा 02 सितम्बर 2024 को अधिवक्ता जैन की याचिका पर भी किया जा चुका है और उस आदेश से केवल दिल्ली, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडू व पश्चिम बंगाल से धारा 136ए सपठित नियम 167 ए को लागू करने के सम्बन्ध में रिपोर्ट मांगी थी और अब यह रिपोर्ट सभी राज्यों से मांग ली गयी है। अब इस इलैक्ट्रोनिक निगरानी की याचिका की अग्रिम सुनवाई दिनांक 24 मार्च को होगी।
इसके अतिरिक्त सड़क सुरक्षा के अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर की गयी याचिकाओं की सुनवाई की दिनांक 31 जनवरी को निर्धारित की जायेंगी जिसमें ट्रान्सपोर्ट वाहनों में स्पीड गवर्नर, सड़क के गड्डों के कारण हुयी मौत या चोट के लिये मुआवजा, राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड, बिना ड्राइविंग लाइसेंस के वाहनों की ब्रिक्री पर रोक, थर्ड पार्टी के साथ-साथ अनिवार्य व्यक्तिगत बीमा, सड़क हादसों की वार्षिक रिपोर्ट का समय पर प्रकाशन, क्रेश इनवेस्टीगेशन योजना के अन्तर्गत हादसों में हुयी मौतों के सम्बन्ध में इनवेस्टीगेशन आदि अनेक विषयों पर आगामी महीनों में सुनवाई होनी है और प्रत्येक याचिका के लिए एक अलग दिनांक निर्धारित होगी।
अधिवक्ता जैन की सड़क हादसों में हुये घायलों के कैशलेस इलाज एवं हिट एण्ड रन हादसों में मुआवजे के भुगतान को लेकर महत्वपूर्ण याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिनांक 12.01.2024 एवं 08.01.2025 को आदेश पारित किये जा चुके हैं।
वर्ष 2023 में बढ़े हादसे और मौतेंः
अभी हाल में लोक सभा में केन्द्रीय सड़क व परिवहन मंत्री नितिन गडकरी द्वारा बताया गया कि वर्ष 2023 में 4,80,583 सड़क दुर्घटनाएँ दर्ज की गई हैं, जिनमें 1,72,890 लोगों की मौत हो चुकी है। उत्तर प्रदेश सड़क दुर्घटना मृत्यु के मामले में सबसे आगे है, जहाँ 23,652 मौतें हुईं, जो कुल मौतों का 13.7 प्रतिशत है। इसके बाद तमिलनाडु और महाराष्ट्र क्रमशः 18,347 (10.6 प्रतिशत) और 15,366 (9 प्रतिशत) मौतों के साथ दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। शहरों में, दिल्ली में सबसे अधिक 1,457 मौतें, उसके बाद बेंगलुरु (915) और जयपुर (850) हैं। वर्ष 2022 में, 4,61,312 सड़क दुर्घटनाएँ दर्ज की गईं, जिनमें 1,68,491 लोगों की मृत्यु और 4,43,366 लोग घायल हुए। इस प्रकार वर्ष 2023 में वर्ष 2022 के मुकाबले सड़क हादसों में अधिक मरने वालों की संख्या 4,399 थी।
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वाहनों की बढ़ती संख्या और मौजूदा सड़क नेटवर्क स्थिति को और गंभीर बना रहे हैं। भारत में अब 38 करोड़ से अधिक पंजीकृत वाहन हैं, और 63.32 लाख किलोमीटर का सड़क नेटवर्क है। इसके बावजूद, ट्रैफिक पुलिस की भारी कमी है। गृह मंत्रालय के पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो की 1 जनवरी 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, 1,02,696 स्वीकृत पदों के मुकाबले केवल 76,697 ट्रैफिक पुलिसकर्मी तैनात हैं।
सड़क सुरक्षा मामलों को लेकर सर्वोच्च अदालत का दरवाज़ा खटकाने वाले आगरा के वरिष्ठ अधिवक्ता के सी जैन ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का इलैक्ट्रोनिक निगरानी को लेकर दिया गया निदेश ऐतिहासिक कदम है। भारत में वर्ष 2023 में 1,70,000 से अधिक लोगों ने सड़क दुर्घटनों में अपनी जान गवां दी। टेक्नोलाजी पर आधारित ट्रैफिक नियमों का अनुपालन अनगिनत जीवन को बचायेगा। सड़क सुरक्षा से सम्बन्धित अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर भी दायर की गयी याचिकाओं पर भी आगामी महीनों में सुनवाई होगी जिसमें सड़क सुरक्षा के परिदृश्य में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद की जा सकती है।
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