15 नवम्बर 24 को प्रशासनिक जज (ए.जे.)के जनपद न्यायालय आगरा दौरे के दौरान अधिवक्ताओं को हाउस अरेस्ट करने का प्रकरण बना पुलिस एवं न्याय प्रशासन के गले की फांस

न्यायालय मुख्य सुर्खियां
पुलिस ने 70 वर्षीय वरिष्ठ अधिवक्ता महताब सिंह एवं वरुण गौतम को किया था हाउस अरेस्ट
पुलिस को निर्देश थे कि जब तक प्रशासनिक जज मौजूद रहें ,उन्हें रखा जाए घर में नजरबंद
वरिष्ठ अधिवक्ता महताब सिंह ने उक्त मामले में प्रस्तुत की थी हाईकोर्ट में याचिका
हाईकोर्ट ने उक्त मामले में पुलिस आयुक्त से हलफनामा किया था तलब
पुलिस आयुक्त द्वारा उक्त मामले मे शांति एवं सौहार्द बनाने का तर्क दे हलफनामा किया था प्रस्तुत
अब हाईकोर्ट ने जिला जज से भी सील बंद रिपोर्ट की तलब
28 फरवरी को होगी अगली सुनवाई

आगरा 20 फरवरी

15 नवम्बर 24 को प्रशासनिक जज आगरा परिक्षेत्र के जनपद न्यायालय आगरा के निरीक्षण हेतु आगमन के मद्देनजर दो आधिवक्ताओं को हाउस अरेस्ट करने का मामला पुलिस एवं न्याय प्रशासन के गले की फांस बनता जा रहा हैं।

70 वर्षीय वरिष्ठ अधिवक्ता महताब सिंह द्वारा उक्त मामले के बाबत हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत करने पर हाईकोर्ट ने पुलिस आयुक्त को उक्त मामले में अपना हलफनामा प्रस्तुत करने के आदेश दिये थे। उनकें द्वारा हलफनामा प्रस्तुत करनेपर उसे पत्रावली पर ले हाईकोर्ट ने जिला जज आगरा से भी सील बंद लिफ़ाफ़े मे रिपोर्ट तलब कर अग्रिम सुनवाई हेतु 28 फरवरी नियत की है ।

मामले के अनुसार 70 वर्षीय वरिष्ठ अधिवक्ता महताब सिंह ने अपने हाईकोर्ट कें अधिवक्ता संदीप मिश्रा के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत कर कथन किया कि वह पिछले 43 वर्ष से जनपद न्यायालय आगरा में वकालत कर रहे हैं। 15 नवम्बर 24 को प्रशासनिक जज को जनपद न्यायालय का दौरा करना था।

15 नवम्बर को चार पुलिस वालो ने सुबह उनके घर आ 168 बी.एन.एस. के तहत नोटिस दे अवगत कराया कि जिला जज ने उन्हे मौखिक रूप से निर्देश दिया हैं कि जब तक प्रशासनिक जज मौजूद रहेंगे तब तक उन्हें घर में नजर बंद रखा जायेगा। याचिका कर्ता ने कथन किया कि उन्हें सुबह 6 बजें से शाम 4 बजें तक घर में नजर बंद रखा गया ।

याचिकाकर्ता ने उक्त कृत्य को मनमानी कार्यवाही बता कहा कि जिला जज को आशंका थीं कि, याचिका कर्ता उनके विरुद्ध प्रशासनिक जज से शिकायत कर सकता हैं।

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याचिका कर्ता की तरफ से तर्क दिया प्रशासनिक जज का दौरा यह सुनिश्चित करने के उद्देश्य से होता हैं कि जिला जज द्वारा कानून कें अनुसार कामकाज किया जा रहा है कि नही। प्रशासनिक जज जिला जज का सरंक्षक होता है, वह उनकें कामकाज की निगरानी करता हैं ।

याचिका कर्ता को उसके घर पर नजर बंद करने का एक मात्र उद्देश्य राज्य अधिकारियों के साथ मिली भगत करके उसे प्रशासनिक जज से मिलनें से वंचित करना है। जिससें ना केवल याचिका कर्ता के मौलिक अधिकारों का उलंघन हुआ, बल्कि संस्थागत पवित्रता को भी ठेस पहुंचाई गई।

याचिका कर्ता की याचिका पर संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने पुलिस आयुक्त आगरा को व्यक्तिगत हलफनामा (एफिडेविड) प्रस्तुत करने के आदेश दियें थे। पुलिस आयुक्त ने हलफनामा दाखिल कर कथन किया कि उन्होंने पुलिस उपायुक्त से रिपोर्ट मांगी । उन्होने सहायक आयुक्त से रिपोर्ट मांगी उक्त हलफनामे में अधिवक्ता वरुण गौतम के पत्रक का भी हवाला दिया गया।

जिसमें उन्होंने कहा था कि किसी अधिवक्ता को समस्या या शिकायत हो तो वह उनसे संपर्क करे। हलफनामें में पुलिस आयुक्त द्वारा कहा गया कि पुलिस ने शांति एवं सौहार्द बनायें रखने के लिये उक्त कार्यवाही की। यह आदेश किसने जारी किये यह निर्दिष्ट नहीँ है। अधिवक्ता महताब सिंह पर वर्ष 1988 के तीन मुकदमें दर्शाए गये जो दीवानी परिसर में घटित घटना के बाबत थाना न्यू आगरा में दर्ज हुये थे।

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उक्त मामलें में 40, 50 अधिवक्ताओ के विरुद्ध मुकदमा दर्ज हुआ था। हाईकोर्ट ने 37 साल बाद उक्त आधार पर जारी पुलिस के नोटिस पर नाराजगी जता उसे सही नहीं माना। उक्त मामले से व्यथित हो अधिवक्ता द्वारा आत्म हत्या की धमकी देनें पर ही पुलिस कर्मी उनके घर से गये थे।

हाईकोर्ट ने अधिवक्ता वरुण गौतम के पत्रक को भी आपत्तिजनक नहीँ माना हाईकोर्ट नें कहा उक्त पत्रक केवल वकीलों कें लियें जारी किया गया था। यदि न्यायालय कें कामकाज मे वकीलों को कोई परेशानी होती हैं तो वह उचित फोरम कें समक्ष अपनी शिकायत कर सकते है।

हाईकोर्ट ने उक्त मामलें मे गहन जांच की आवश्यकता दर्शाते हुये जिला जज से सील बंद लिफ़ाफ़े में रिपोर्ट तलब की है ताकि यह जानकारी मिल सके कि याचिका कर्ता को नोटिस देने या उसकी स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करने के लिये पुलिस को किसने निर्देश जारी किये थे। उक्त मामलें में हाईकोर्ट ने अग्रिम सुनवाई हेतु 28 फरवरी नियत की है ।

Attachment/Order/Judgement – DocScanner Feb 19, 2025 12-14 PM

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विवेक कुमार जैन
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