ईशन नदी का उदगम हाथरस के सिकंदराराऊ के निकट स्थित झीलों से हुआ है।लेकिन अतिक्रमण के कारण वर्तमान में रोहतम झील और ईशन नदी का टूट गया है संपर्क
आगरा/नई दिल्ली 20 मार्च ।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल दिल्ली में गंगा की सहायक नदी ईशन नदी के संरक्षण के केस संख्या-105/2025 , अजय प्रताप सिंह बनाम डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट मैनपुरी आदि की सुनवाई हुई। ईशन नदी के संरक्षण की याचिका एनजीटी में अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने दायर की है।
इस याचिका में विपक्षी संख्या-1 जिलाधिकारी मैनपुरी, 2- जिलाधिकारी हाथरस, 3- जिलाधिकारी एटा, 4- जिलाधिकारी कन्नौज, 5- जिलाधिकारी कानपुर देहात, 6- प्रमुख सचिव, पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन विभाग उत्तर प्रदेश, 7- अध्यक्ष उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड है।
सुनवाई के दौरान अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने माननीय न्यायाधिकरण को बताया कि अलीगढ़ गजेटियर रिकॉर्ड के अनुसार ईशन नदी का उदगम हाथरस के सिकंदराराऊ के निकट स्थित झीलों से हुआ है। लेकिन अतिक्रमण के कारण वर्तमान में रोहतम झील और ईशन नदी का संपर्क टूट गया है और झील पर अतिक्रमण हो गया है, एटा मैनपुरी में ईशन नदी के बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र में अनेक अवैध निर्माण हो चुका है और मैनपुरी शहर में शहर का प्रमुख नाले द्वारा घरों का ब्लैक व ग्रे वाटर ईशन नदी में छोड़ा जा रहा है । जिससे नदी का पारिस्थितिकी तंत्र खत्म हो गया है।ईशन नदी गंगा की सहायक नदी है जोकि कानपुर देहात में गंगा में मिल जाती है।
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माननीय न्यायाधिकरण से प्रार्थना की कि ईशन नदी के बाढ़ग्रस्त क्षेत्र का निर्धारण कर सभी बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र में आने वाले अवैध निर्माण हटाये जाए व नदी में गिरने वाले सभी नालों को बंद किया जाय व ईशन नदी के सम्पूर्ण क्षेत्र के परिस्थितिकी तंत्र व रोहतम झील का संरक्षण किया जाए।
न्यायाधिकरण ने सुनवाई करते हुए सभी विपक्षीगणों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया व याचिकाकर्ता को विपक्षीगणों नोटिस भेजने का आदेश जारी किया।
न्यायाधिकरण के सुनवाई की अगली 17 जुलाई नियत की हैव 17 जुलाई को सभी विपक्षीगणों को अपना जबाब दाखिल करने आदेश जारी किया।
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