बैंकिंग साइबर अपराधों में बैंक अपनी देनदारी से नहीं बच सकते: मा. सर्वेश कुमार

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आगरा, 13 सितंबर, 2025

आगरा में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत के अवसर पर उपभोक्ता फोरम प्रथम के अध्यक्ष, माननीय सर्वेश कुमार ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है।

उन्होंने कहा कि बैंकिंग साइबर अपराधों के मामलों में, यदि किसी उपभोक्ता को आर्थिक नुकसान होता है, तो उसकी पूरी जिम्मेदारी संबंधित बैंक की होगी।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई ) द्वारा जारी किए गए स्पष्ट निर्देशों के आधार पर ही उपभोक्ता के पक्ष में फैसला सुनाया जाता है।

उपभोक्ताओं के प्रति बैंकों का रवैया असंतोषजनक:

माननीय सर्वेश कुमार ने वर्तमान में बैंकिंग संस्थानों, विशेषकर निजी बैंकों और वित्तीय संस्थानों, द्वारा अपनाई जा रही नीति पर असंतोष व्यक्त किया।

उन्होंने कहा कि उपभोक्ता अदालतें इस रवैये से संतुष्ट नहीं हैं और बैंकों को अपने उपभोक्ताओं के प्रति सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपनाना चाहिए।

उन्होंने जोर देकर कहा कि तभी राष्ट्रीय लोक अदालत का उद्देश्य, यानी वादकारियों को अधिक से अधिक लाभ पहुँचाना, पूरा हो पाएगा।

लोक अदालत का उद्देश्य: सुलह और न्याय

माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों और उच्च न्यायालयों की देखरेख में पूरे देश में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जाता है, जिसमें सरकार के सभी प्रमुख विभागों की भागीदारी सुनिश्चित की जाती है।

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इसका मुख्य उद्देश्य जनता को सुलह-समझौते के आधार पर अधिकतम न्याय प्रदान करना और वादकारियों पर वित्तीय और कानूनी बोझ को कम करना है।

श्री कुमार ने कहा कि लोक अदालत एक ऐसा मंच है, जहाँ अधिक से अधिक वादकारी और उपभोक्ता अपने मामले आपसी सुलह से समाप्त कर सकते हैं।

उपभोक्ता अदालतों का प्रथम लक्ष्य है कि मामला सुलह समझौता से हल हो :राजीव सिंह

आगरा, 13 सितंबर, 2025 आगरा उपभोक्ता फोरम प्रथम के सदस्य राजीव सिंह ने राष्ट्रीय लोक अदालत के अवसर पर कहा कि उपभोक्ता अदालतों का प्राथमिक उद्देश्य मामलों को आपसी सुलह-समझौते के माध्यम से हल करना है।

उन्होंने बताया कि कोई भी उपभोक्ता किसी दुकानदार, संस्थान या कंपनी से शिकायत होने पर पहले उसे सूचित करता है, फिर लिखित नोटिस देता है और जब कोई समाधान नहीं निकलता, तब वह उपभोक्ता अदालत का रुख करता है।

सुलह से समस्याओं का समाधान

राजीव सिंह ने कहा कि उपभोक्ता अदालत का पहला प्रयास दोनों पक्षों के बीच सुलह कराना होता है। इस प्रक्रिया में, दोनों पक्षों को संभावित भविष्य की कठिनाइयों के बारे में भी बताया जाता है यदि वे अभी समझौता नहीं करते हैं।

यदि दोनों पक्ष सहमत हो जाते हैं, तो मामले का समाधान उसी स्तर पर कर दिया जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि आगरा उपभोक्ता फोरम प्रथम में एक रुपये से लेकर पचास लाख रुपये तक के कई मामले सुलह-समझौते के आधार पर निपटाए गए हैं।

यह पहल उपभोक्ताओं को त्वरित और सरल न्याय दिलाने में मदद करती है, साथ ही कानूनी प्रक्रिया के बोझ को भी कम करती है।

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विवेक कुमार जैन
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