आगरा / नई दिल्ली 26 सितंबर।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने बुधवार (25 सितंबर) को कहा कि जजों द्वारा की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों के प्रसार के कारण पैदा हुए विवाद न्यायालय की कार्यवाही की लाइव-स्ट्रीमिंग को बंद करने का कारण नहीं हो सकते।
सीजेआई ने कहा,
“सूर्य के प्रकाश का उत्तर अधिक सूर्य का प्रकाश है। न्यायालय में जो कुछ भी होता है, उसे दबाना नहीं चाहिए। यह सभी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण अनुस्मारक है। इसका उत्तर दरवाजे बंद करके सब कुछ बंद कर देना नहीं है।”
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की पीठ कर्नाटक हाईकोर्ट के जज जस्टिस वी श्रीशानंद द्वारा की गई टिप्पणियों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई कर रही थी। इस टिप्पणी का वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद विवाद खड़ा हो गया था।
पीठ ने जज द्वारा व्यक्त की गई क्षमायाचना स्वीकार करते हुए स्वतःसंज्ञान कार्यवाही बंद कर दी। हालांकि, पीठ ने अपने आदेश में जजों द्वारा किसी भी समुदाय के प्रति स्त्री द्वेषपूर्ण या पूर्वाग्रहपूर्ण टिप्पणी करने से बचने की आवश्यकता के बारे में कुछ सख्त टिप्पणियां कीं।
इस बात पर जोर देते हुए कि इलेक्ट्रॉनिक युग में कार्यवाही की व्यापक रिपोर्टिंग होती है, पीठ ने जजों को सावधानी और सतर्कता से काम करने की याद दिलाई।
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बता दें कि विवाद के बाद कर्नाटक हाईकोर्ट ने अधिसूचना जारी की, जिसमें जनता को अनधिकृत क्लिपिंग और लाइव-स्ट्रीम वीडियो को साझा करने के खिलाफ नियमों के बारे में याद दिलाया गया।
हाईकोर्ट ने मंगलवार को अदालती कार्यवाही के लाइव-स्ट्रीम से बनाई गई क्लिप को साझा करने पर रोक लगाने का आदेश पारित किया था।
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साभार: लाइव लॉ
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