आगरा ३ जून ।
अभिनेत्री कंगना रनौत की मुश्किलें बढ़ गई हैं। आगरा जिला जज माननीय संजय कुमार मलिक ने किसानों के अपमान और राष्ट्रद्रोह के आरोप में दायर एक रिवीजन याचिका को स्वीकार करते हुए कंगना रनौत को नोटिस जारी किया है। इस मामले की अगली सुनवाई 30 जून, 2025 को होगी।
यह मामला राजीव गांधी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता रमाशंकर शर्मा एडवोकेट द्वारा दायर किया गया था। शर्मा ने 11 सितंबर, 2024 को स्पेशल कोर्ट एमपी-एमएलए माननीय अनुज कुमार सिंह की अदालत में एक परिवाद प्रस्तुत किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि कंगना रनौत ने केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली बॉर्डर पर 378 दिनों से धरने पर बैठे किसानों को “हत्यारा, बलात्कारी और अलगाववादी” बताया था।
परिवाद में यह भी कहा गया था कि कंगना ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अहिंसात्मक सिद्धांत का मजाक उड़ाते हुए कहा था कि “गाल पर चांटा खाने से भीख मिलती आजादी नहीं,” और “1947 में जो आजादी मिली वह महात्मा गांधी के भीख के कटोरा में मिली थी।

असली आजादी तो सन 2014 में मिली है जब से केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार सत्ता में आई है।” शर्मा ने तर्क दिया था कि इन बयानों से कंगना ने तमाम क्रांतिकारी शहीदों, स्वतंत्रता सेनानियों और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का अपमान कर राष्ट्रद्रोह का अपराध किया है।
करीब 9 महीने तक चली सुनवाई के बाद, स्पेशल कोर्ट एमपी-एमएलए माननीय अनुज कुमार सिंह ने 6 मई, 2025 को शर्मा के परिवाद को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि वादी अधिवक्ता या उनका कोई परिवारजन किसानों के धरने में शामिल नहीं था, और इस वाद को कोर्ट में दायर करने से पहले केंद्र सरकार, राज्य सरकार, किसी न्यायालय या जिला मजिस्ट्रेट से अनुमति नहीं ली गई थी।
कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की थी कि वादी अधिवक्ता न तो राष्ट्रपति महात्मा गांधी के परिवार से हैं और न ही उनके कोई रिश्तेदार हैं, जबकि इस तरह के परिवाद को महात्मा गांधी का कोई परिवारजन या नजदीकी व्यक्ति ही प्रस्तुत कर सकता है।
इस फैसले को चुनौती देते हुए, शर्मा ने जिला जज माननीय संजय कुमार मलिक की अदालत में एक रिवीजन याचिका प्रस्तुत की। उन्होंने तर्क दिया कि मोदी सरकार द्वारा 2019 में लाए गए कृषि कानूनों से उनका कृषक परिवार भी प्रभावित हो रहा था, और चूंकि 750 से अधिक किसानों की धरने के दौरान मौत हुई थी, इसलिए उन्हें इस मामले में परिवाद दायर करने का अधिकार है।
शर्मा ने यह भी तर्क दिया कि जनता के बीच दिए गए बयानों के लिए केंद्र या राज्य सरकार, किसी न्यायालय या जिला मजिस्ट्रेट से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होती, जैसा कि लोकसभा या राज्यसभा में दिए गए वक्तव्यों के लिए होता है।

उन्होंने जोर देकर कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पूरे राष्ट्र के पिता हैं, न कि किसी एक परिवार के, और आजादी पूरे देश को बड़ी कुर्बानियों और संघर्ष के बाद मिली है, न कि भीख में। इसलिए, एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में उन्हें यह परिवाद प्रस्तुत करने का हक है।
जिला जज ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद शर्मा की रिवीजन याचिका को पोषणीय मानते हुए स्वीकार कर लिया और कंगना रनौत को नोटिस जारी करने का आदेश पारित किया है। मामले की अगली सुनवाई 30 जून, 2025 को निर्धारित की गई है।
श्री शर्मा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अमीर अहमद, रामदत्त दिवाकर, दुर्ग विजय सिंह भैया, राकेश नौहवार, सुमंत चतुर्वेदी, बी.एस. फौजदार, सुरेंद्र लाखन चौधरी, अजय सिंह, सत्य प्रकाश सक्सेना, राजेंद्र गुप्ता, धीरज आर.एस. मौर्य, उमेश जोशी और राम मोहन शर्मा सहित करीब दो दर्जन से अधिक अधिवक्ताओं ने बहस की।
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