दुराचार, हत्या, सबूत नष्ट करने एवं पॉक्सो एक्ट का था आरोप
विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट माननीय सोनिका चौधरी ने सुनाई सजा
एडीजीसी सुभाष गिरी एवं विशेष लोक अभियोजक विजय किशन लवानियां ने के ठोस पैरवी
वादी मुकदमा सहित 15 गवाहों की हुई थीं गवाही
अदालत ने आरोपी को दुराचार आरोप में दिया मृत्युदंड
हत्या आरोप में मृत्यू दंड एवं एक लाख रुपये का अर्थ दंड
पॉक्सो एक्ट में मृत्युदंड एवं सबूत नष्ट करने के आरोप में सात वर्ष कैद एवं 25 हजार रुपये के अर्थ दंड से दंडित
अदालत ने कहा अभियुक्त राजवीर की गर्दन में फांसी लगा कर तब तक लटकाया जाये जब तक उसकीं मृत्यू न हो जाये
अदालत ने आदेश की प्रति जिलाधिकारी एवं जिला कारागार अधीक्षक को भी भेजने के दिये आदेश
आगरा 30 अक्टूबर ।
सात वर्षीया अबोध बालिका से दुराचार, निर्ममतापूर्वक हत्या, पॉक्सो एक्ट एवं सबूत नष्ट करने के मामले मे आरोपित राजवीर पुत्र पाती राम निवासी नगला केसरी थाना एत्मादपुर जिला आगरा को दोषी पाते हुये विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट माननीय सोनिका चौधरी ने फांसी की सजा एवं एक लाख पच्चीस हजार रुपये के अर्थ दंड से दंडित किया है ।
ये था पूरा मामला
वादी मुकदमा ने थाना एत्मादपुर, जिला आगरा मे तहरीर दे, आरोप लगाया कि उसकी सात वर्षीया पुत्री 30 दिसम्बर 2023 की दोपहर एक बजे करीब अचानक गायब हो गई। परिजनों की काफी तलाश के बाद भी उसका कुछ पता नहीं लगा।
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30 दिसम्बर 2023 की शाम 5.30 बजे करीब वादी वादी की पुत्री मृत अवस्था में दिलीप यादव नामक व्यक्ति के प्लॉट के पीछे की दीवार के किनारे से बरामद हुई। वादी की पुत्री के सिर में गम्भीर चोटें पाई गईं थी। उसकीं बायें हाथ की उंगली भी कटी हुई थी।
ये हुई थीं कार्यवाही
पुलिस ने वादी की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर थाना एत्मादपुर जिला आगरा में अज्ञात आरोपी के विरुद्ध हत्या का मुकदमा दर्ज किया था।
मुकदमे की विवेचना तत्कालीन निरीक्षक विजय विक्रम सिंह द्वारा ग्रहण कर जांच शुरू कर घटना स्थल का निरीक्षण, पंचायत नामे की कार्यवाही, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, डॉक्टर एवं गवाहो के बयान के आधार पर आरोपी राजवीर को हिरासत में लेकर आरोपी के विरुद्ध दुराचार, हत्या, सबूत नष्ट करने एवं पॉक्सो एक्ट के तहत आरोप पत्र अदालत में प्रेषित किया था।
इनकी हुई मामलें की पुष्टि हेतु गवाही
एडीजीसी सुभाष गिरी एवं विशेष लोक अभियोजक विजय किशन लवानियां ने आरोपी के जघन्य कृत्य के लिये उसे कठोरतम सजा दिलाने के उद्देश्य से पुरजोर पैरवी करते हुये वादी मुकदमा, पीड़िता की दादी, पीड़िता के चाचा, एच.सी.सतेंद्र सिंह, राम निवास, अशोक कुमार, डा. वैभव कुलश्रेष्ठ, डा. अनुराग सिंह, प्रदीप कुमार, विवेचक थानाध्यक्ष विजय विक्रम सिंह, एसीपी सुकन्या शर्मा, प्रधानाचार्य सुमित कुमार, अर्पित उर्फ भोला, डा. अजय कुमार गर्ग एवं दिलीप यादव को गवाह के रूप मे अदालत में पेश किया। मामले का विचारण दस माह में पूर्ण हो गया।
ऐसे पकड़ा गया आरोपी
आरोपी राजवीर प्रदीप कुमार के यहा चौकीदारी करता था । उसके घर पर सीसीटीवी कैमरा लगा था। सीसीटीवी फुटेज मे आरोपी अत्यंत परेशान लग रहा था। वह घर के अंदर बाहर आ जा रहा था। उसकी शर्ट की दोनों बांह पानी से आधी आधी भीगी हुई थीं । वह गमछे से अपने पेट को पोंछ रहा था, बार बार बाथरूम में आ जा रहा था।विवेचक ने उक्त फुटेज अपनी पैन ड्राइव में ली थी।
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साथ ही पीड़िता की दादी ने जो बयान पुलिस को दिये थे वह भी अहम सिद्ध हुये। पीड़िता की दादी ने कहा कि घटना वाले दिन दोपहर एक बजे उनकी दोनों नातिन टॉफी लेने दुकान पर गयीं थी। बड़ी नातिन राजवीर के पास खेलनें के लिये रुक गयी थी। उन्होनें नातिन को घर ले जाने की कोशिश की जिस पर आरोपी ने कहा थोड़ी देर खेलने दो वह बाद में आ जायेगी । घर पर आकर वह अन्य घरेलू काम में व्यस्त हो गयी।देर तक घर नहीं आने पर दादी अपनी नातिन को देखने गई । वहाँ ना उनकी नातिन मिली और ना ही आरोपी। बाद मे आरोपी से पूछने पर उसने पीड़िता की दादी को गुमराह कर दिया।
आरोपी से सख्ती से पूँछतांझ करने पर उसने पुलिस के सामने कबूल किया कि उसने कैसे पीड़िता के साथ गलत कृत्य कर उसकी टैंक में डुबा दिया और ग्रेनाइट पत्थर से उसके सिर पर प्रहार कर हत्या की थी।
विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट सोनिका माननीय सोनिका चौधरी ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर एडीजीसी सुभाष गिरी एवं विशेष लोक अभियोजक विजय किशन लवानियां के तर्क पर आरोपी के विरुद्ध आदेश पारित करते हुये कथन किया कि अभियुक्त द्वारा अबोध असहाय बालिका के साथ जघन्य कृत्य कर उसकी निर्ममतापूर्वक हत्या कर पाशविकता एवं बर्बरता की समस्त सीमाओं को लांघ दिया दिया।
नन्ही कली ने स्वयं का जीवन बचाने के लिये कितना संघर्ष किया होगा, किंतु अफसोस नर पिशाच अभियुक्त की पाशविकता एवं हैवानियत के सामने अबोध, असहाय बालिका जीवन की जंग हार गई। उस समय जिस वेदना और पीड़ा से नन्ही जान गुजरी होगी उसकी कल्पना किया जाना वह उसका अनुमान लगाना असंभव है ।
शास्त्रों में नारी को पूज्यनीय बताया जाता हैं परन्तु यह ग्रथों एवं पुस्तको तक ही सीमित रह गया हैं ।
अदालत ने कहा कि यदि समाज में इस प्रकार के अपराधों पर अंकुश नहीँ लगाया गया तो ईश्वर भी देश एवं समाज मे बेटी देने से घबराएगा। आरोपी के कृत्य को देखते हुये वह कठोरतम दंड का अधिकारी है।
अभियुक्त को मृत्यू दंड देने पर ही मृतक अबोध पीड़िता एवं समाज को न्याय दिलाना संभव हैं ।जिससें समाज स्वयं को वह अपने अबोध बालकों को इस प्रवत्ति के दानव व नरपिशाचों से बचा सके।
अदालत ने आरोपी को दुराचार आरोप में मृत्यू दंड, हत्या आरोप में मृत्यू दंड एवं एक लाख रुपये का अर्थ दंड, पॉक्सो एक्ट में मृत्यू दंड एवं सबूत नष्ट करने के आरोप में सात वर्ष कैद एवं 25 हजार रुपये के अर्थ दंड से दंडित किया। अदालत नें समस्त सजा साथ साथ चलानें के आदेश दिये।अदालत ने स्पष्ट किया कि आरोपी राजवीर की गर्दन में फांसी लगा कर तब तक लटकाया जायें जब तक उसकी मृत्यू न हो जाये।
अदालत ने अर्थ दंड की समस्त राशि पीड़िता के माता पिता को दिलाये जाने के आदेश दिये।
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अदालत ने मृत्यू दण्डादेश की पुष्टि हेतु पत्रावली उच्च न्यायालय प्रेषित करने के आदेश दिये। साथ ही आदेश की प्रति जिलाधिकारी आगरा एवं जिला कारागार अधीक्षक को भी प्रेषित करने केआदेश दिये।
सजा सुनायें जानें कें बाद भी आरोपी के चेहरे पर कोई शिकन नहीँ थीं शायद उसें ज्ञात ही नहीं था कि अदालत ने उसे कितनी कठोर सजा दी हैं।
वही पीड़िता के पिता एवं वादी मुकदमा भी आज अदालत आये।आरोपी को मृत्यू दंड की सजा सुनाये जाने पर उन्होनें ईश्वर अदालत एवं सरकारी वकीलों को ह्रदय से धन्यवाद दिया।
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