आगरा: ३० जून ।
धोखाधड़ी और स्टांप अधिनियम से जुड़े एक मामले में, आगरा निवासी अमित त्यागी को घटना के बीस साल बाद साक्ष्य के अभाव में बारी कर दिया गया है।
अपर जिला जज-15 माननीय राजीव कुमार पालीवाल ने यह फैसला सुनाया। यह मामला लोक निर्माण विभाग के ठेके लेने में फर्जी स्टांप के इस्तेमाल से जुड़ा था।
यह प्रकरण 29 मार्च 2004 को लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता यू.एस. कमानी द्वारा थाना रकाबगंज में दर्ज कराए गए मुकदमे से संबंधित है। उन्होंने आरोप लगाया था कि विद्युत यांत्रिक खंड लोक निर्माण विभाग में ठेकों के लिए आमंत्रित टेंडरों में कुछ ठेकेदारों, जैसे मैसर्स राज बिजली फिटिंग वर्क्स फिरोजाबाद, मैसर्स ब्रज इलेक्ट्रिकल मार्ट मथुरा और मैसर्स टी.वी.के. ऑटोमोबाइल ट्रांसपोर्ट नगर आगरा, द्वारा प्रस्तुत 12 पत्रावलियों में लगे 57 स्टांप फर्जी पाए गए थे।
पुलिस जांच में सामने आया कि ये फर्जी स्टांप कलेक्ट्रेट स्थित देवेंद्र त्यागी नामक स्टांप विक्रेता से खरीदे गए थे। आरोपी अमित त्यागी देवेंद्र त्यागी का साला था और उसी के साथ बैठता था। पुलिस ने इस मामले में जीजा-साले दोनों के खिलाफ आरोप पत्र अदालत में पेश किया था। हालांकि, देवेंद्र त्यागी की विचारण के दौरान मृत्यु हो जाने के कारण उनके विरुद्ध कार्यवाही समाप्त कर दी गई थी।
अभियोजन पक्ष की ओर से इस मामले में वादी सहित कुल 9 गवाह अदालत में पेश हुए, जिनमें घटना के समय एडीएम वित्त एवं फाइनेंस रहे शमीम अहमद खान (वर्तमान में सचिव, उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन) भी शामिल थे।
अमित त्यागी के अधिवक्ता शैलेन्द्र शर्मा के तर्कों और पर्याप्त साक्ष्य के अभाव को देखते हुए, अदालत ने आरोपी को बरी करने का आदेश दिया।
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