आगरा: आगरा के जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग-प्रथम के अध्यक्ष माननीय सर्वेश कुमार और सदस्य राजीव सिंह ने एक महत्त्वपूर्ण फैसले में नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को एक मरीज़ के इलाज में लापरवाही बरतने के लिए ₹1,15,000/- का मुआवज़ा देने का आदेश दिया है।
यह मामला डॉक्टर दिनेश गर्ग द्वारा की गई चिकित्सीय लापरवाही से जुड़ा है, जिनकी पेशेवर क्षतिपूर्ति पॉलिसी (Professional Indemnity Policy) नेशनल इंश्योरेंस कंपनी के पास थी।
मामले का विवरण:
बी. एन. पचौरी ने अपनी स्वर्गीय पत्नी सुधा पचौरी की मृत्यु के लिए डॉक्टरों की लापरवाही को ज़िम्मेदार ठहराते हुए यह परिवाद दायर किया था। सुधा पचौरी, जो एक शिक्षिका थीं, पीठ और कमर दर्द की शिकायत के बाद 2012 में डॉक्टर मनोज शर्मा से मिलीं। उनकी अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में अग्न्याशय (pancreas) में एक गांठ (lesion) पाई गई थी। इसके बावजूद, उन्हें केवल दर्द निवारक दवाएँ दी गईं।

अक्टूबर 2013 में, पचौरी ने डॉक्टर दिनेश गर्ग से परामर्श लिया, जिन्होंने 18 जनवरी 2014 तक उनका इलाज जारी रखा। आयोग ने पाया कि डॉक्टर गर्ग ने शुरू में पेट का सी.टी. स्कैन नहीं कराया, जिससे निदान में लगभग चार महीने की देरी हुई। 18 जनवरी 2014 को हुए सी.टी. स्कैन में सुधा पचौरी के अग्न्याशय में कैंसर का पता चला।
बाद में, दिल्ली के एम्स और मुंबई के टाटा मेमोरियल सेंटर में उनका इलाज हुआ, लेकिन उनकी स्थिति इतनी खराब हो चुकी थी कि ऑपरेशन संभव नहीं था। 17 दिसंबर 2014 को उनकी मृत्यु हो गई।
आयोग का निष्कर्ष:
आयोग ने परिवादी बी. एन. पचौरी को डॉक्टर दिनेश गर्ग का उपभोक्ता माना। आयोग ने यह भी निष्कर्ष निकाला कि डॉक्टर गर्ग ने समय पर सही निदान न करके चिकित्सीय लापरवाही बरती है। इस लापरवाही के कारण ही सुधा पचौरी की जान चली गई।
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आयोग ने नेशनल इंश्योरेंस कंपनी को ₹1,15,000/- का मुआवज़ा (जिसमें मानसिक पीड़ा, वाद व्यय और अन्य क्षतिपूर्ति शामिल है) 6% वार्षिक ब्याज के साथ अदा करने का आदेश दिया। यदि कंपनी 45 दिनों के भीतर भुगतान करने में विफल रहती है, तो ब्याज दर 9% हो जाएगी।
आयोग ने डॉक्टर मनोज शर्मा और न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी के खिलाफ दायर परिवाद को खारिज कर दिया, क्योंकि यह साबित नहीं हो सका कि बी. एन. पचौरी और डॉ. मनोज शर्मा के बीच उपभोक्ता-सेवा प्रदाता संबंध था।
Attachment/Order/Judgement – bnpachauri
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