आगरा/नई दिल्ली: ४ जुलाई ।
दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ ) को विकलांगता पेंशन (डिसेबिलिटी पेंशन ) के भुगतान से संबंधित एक मामले में अंतिम चेतावनी दी है। कोर्ट ने 1 जुलाई, 2025 को दिए गए आदेश में सीआरपीएफ को निर्देश दिया है कि यदि अगले चार सप्ताह के भीतर 7 जनवरी, 2025 के डिविजन बेंच के आदेश का पालन नहीं किया जाता है, तो संबंधित अधिकारी अगली सुनवाई पर कोर्ट में उपस्थित रहें।
यह मामला कुलदीप सिंह द्वारा दायर एक अवमानना याचिका (कंटेम्प्ट पिटीशन ) से संबंधित है, जिसमें सीआरपीएफ पर कोर्ट के 7 जनवरी, 2025 के आदेश की जानबूझकर अवज्ञा करने का आरोप लगाया गया है।
7 जनवरी, 2025 के आदेश में सीआरपीएफ को कुलदीप सिंह को 40% (जो 50% तक पूर्णांकित है) विकलांगता के आधार पर विकलांगता पेंशन और संबंधित लाभ दो महीने के भीतर जारी करने का निर्देश दिया गया था। इसके अतिरिक्त, पेंशन का बकाया तीन साल पहले से जारी करने का भी आदेश दिया गया था।
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जस्टिस अनीश दयाल की पीठ ने गौर किया कि 7 जनवरी, 2025 को दिए गए निर्देशों के बावजूद, छह महीने बीत जाने के बाद भी उनका पालन नहीं किया गया है। कोर्ट ने सीआरपीएफ के इस तर्क को खारिज कर दिया कि वे मामले के विवरण की पुष्टि किस्तवाड़ स्थित संबंधित कार्यालय से करने का प्रयास कर रहे हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि डिवीजन बेंच का स्पष्ट निर्देश था कि पेंशन लाभ दो महीने के भीतर दिए जाएं, और अब मामले पर दोबारा विचार करने या याचिकाकर्ता के रिकॉर्ड की जांच करने का कोई प्रश्न नहीं उठता।
याचिकाकर्ता कुलदीप सिंह की ओर से दिल्ली हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता के.के. शर्मा और हर्षित अग्रवाल पेश हुए, जबकि प्रतिवादियों (गोविंद मोहन और अन्य) की ओर से सीनियर सेंट्रल गवर्नमेंट काउंसल नीरज कुमार और चैतन्य कुमार उपस्थित थे। कोर्ट में सीआरपीएफ के लीगल ऑफिसर मिस्टर अजय पाल भी मौजूद थे।मामले की अगली सुनवाई 13 अगस्त, 2025 को होगी।
Attachment/Order/Judgement – high_court_order
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