आगरा/नई दिल्ली:
दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ ) के एक जवान शैलेन्द्र कुमार को सेवा से बर्खास्त करने के आदेश को रद्द कर दिया है और उन्हें तत्काल सेवा में बहाल करने का निर्देश दिया है। जवान पर पहली शादी के रहते दूसरी शादी करने और बच्चों के भत्ते का गलत लाभ उठाने का आरोप था।
जस्टिस सी. हरि शंकर और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने 13 अक्टूबर 2025 को दिए गए अपने फैसले में, कमांडेंट 114वीं बटालियन, जालंधर, रैपिड एक्शन फोर्स द्वारा 27 फरवरी 2023 को पारित बर्खास्तगी आदेश, और उसके बाद अपील और पुनरीक्षण याचिका को खारिज करने वाले सभी आदेशों को खारिज कर दिया।वादी की तरफ़ से प्रभावी पैरवी उच्च न्यायालय के अधिवक्ता के के शर्मा और हर्षित अग्रवाल ने की ।
बर्खास्तगी का आधार और न्यायालय का अवलोकन:
सीआरपीएफ जवान शैलेन्द्र कुमार पर मुख्य रूप से तीन आरोप थे:
* पहली शादी के रहते दूसरी शादी: 30 मई 2021 को दूसरी शादी करना, जबकि पहली पत्नी चंद्र किरण के साथ शादी कायम थी।

* विभाग को सूचना न देना: दूसरी शादी से पहले विभाग को सूचित न करना।
* बाल देखभाल भत्ता (Child Care Allowance) का लाभ: औपचारिक रूप से गोद लेने से पहले ही दूसरी पत्नी की बेटी के लिए बाल देखभाल भत्ता लेना।
न्यायालय ने पाया कि जवान ने विभागीय कार्यवाही में यह विशिष्ट तर्क दिया था कि उनकी पहली शादी 29 मार्च 2021 को पंचायत की उपस्थिति में स्टाम्प पेपर पर तलाकनामा के माध्यम से भंग हो चुकी थी।
न्यायालय ने कहा कि बर्खास्तगी के आदेश में इस विशिष्ट तर्क पर कोई ध्यान नहीं दिया गया कि पंचायत के समक्ष तलाकनामा के आधार पर शादी का विघटन मान्य विघटन माना जा सकता है या नहीं।
कोर्ट ने रेखांकित किया कि बर्खास्तगी आदेश में यह नहीं पाया गया कि जवान का यह दावा तथ्यात्मक रूप से गलत था, न ही जवान को इस संबंध में कोई सबूत पेश करने के लिए कहा गया।
न्यायालय ने यह भी माना कि, इन परिस्थितियों में, जवान की दूसरी शादी एक सद्भावपूर्ण (bona fide) शादी थी, क्योंकि जवान की धारणा में पहली शादी भंग हो चुकी थी। न्यायालय ने कहा कि यदि पहली शादी कानूनी रूप से भंग हो गई थी, तो पहले दो आरोप (दूसरी शादी और सूचना न देना) कायम नहीं रहेंगे।
तीसरे आरोप के संबंध में, न्यायालय ने कहा कि जवान ने अपनी दूसरी शादी को विभाग से छिपाया नहीं था। यह देखते हुए कि लड़की वास्तव में उनकी दूसरी पत्नी की बेटी थी और जवान उसकी देखभाल कर रहा था, कोर्ट ने कहा कि यह नहीं कहा जा सकता कि जवान ने बाल देखभाल भत्ता अवैध रूप से लिया, भले ही औपचारिक गोद लेने का कार्य बाद में हुआ हो।
Also Read – 15 हजार की बकाया राशि पर 25 साल बाद मिले ₹1.69 लाख, उपभोक्ता आयोग प्रथम ने वादी को सौंपा चेक

कोर्ट ने कहा,
“सेवा से बर्खास्तगी एक चरम कदम है… यह एक ऐसा कदम नहीं है जिसे नियमित रूप से उठाया जाए, खासकर जहाँ कर्मचारी के खिलाफ आरोप में नैतिक अधमता या वित्तीय या इस तरह की अनियमितता का तत्व शामिल न हो”।
कोर्ट ने इस मामले को “न्याय का उपहास” (travesty of justice) बताते हुए बर्खास्तगी के सभी आदेशों को रद्द कर दिया।
बहाली और लाभ:
न्यायालय ने निर्देश दिया है कि शैलेन्द्र कुमार को तत्काल सेवा में बहाल किया जाए। वह सेवा में निरंतरता के सभी लाभों, जिसमें वरिष्ठता (seniority) और वेतन निर्धारण (pay fixation) के लाभ शामिल हैं, के हकदार होंगे।
हालांकि, जवान उस अवधि के लिए वेतन के बकाया (arrears of pay) के हकदार नहीं होंगे, जिस अवधि में उन्होंने सेवा नहीं की है।
Stay Updated With Latest News Join Our WhatsApp – Channel Bulletin & Group Bulletin

- आगरा में मां की निर्मम हत्या के आरोपी पुत्र को आजीवन कारावास एवं 50 हजार रुपये के अर्थ दंड की सजा - October 25, 2025
- आगरा अदालत में गवाही के लिए हाजिर न होने पर विवेचक पुलिस उपनिरीक्षक का वेतन रोकने का आदेश - October 25, 2025
- 25 साल बाद फिरौती हेतु अपहरण के 6 आरोपी बरी, अपहृत ने नकारी गवाही - October 25, 2025







1 thought on “दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीआरपीएफ़ जवान को सेवा से बर्खास्त करने का आदेश किया रद्द ,तुरंत बहाल करने का दिया निर्देश”