उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग प्रथम, आगरा का बड़ा फैसला: बीमा कंपनी ‘सेवा में कमी’ के लिए दोषी, राहुल परमार को मिला ₹12,33,160/- का भुगतान

उपभोक्ता मामले न्यायालय मुख्य सुर्खियां

आगर 8 अक्टूबर।

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग-प्रथम आगरा के अध्यक्ष माननीय सर्वेश कुमार और सदस्य राजीव सिंह ने दोनों पक्षों की दलीलों पर विचार किया।

आगरा ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में, एच.डी.एफ.सी. इरगो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (HDFC ERGO General Insurance Co. Ltd.) को बीमा दावे के भुगतान में ‘सेवा में कमी’ (Deficiency in Service) का दोषी ठहराया है।

आयोग ने बीमा कंपनी को बीमित वाहन के घोषित मूल्य, ब्याज, मानसिक पीड़ा क्षतिपूर्ति, और वाद-व्यय सहित कुल ₹7,14,584/- की धनराशि को 13.11.2017 से 6% वार्षिक साधारण ब्याज के साथ भुगतान करने का आदेश दिया, जिसकी कुल राशि हाल ही में ₹12,33,160/- में जमा की गई।यह निर्णय परिवाद संख्या-173/2017 में राहुल परमार (प्रो० मै० ओम सांई ट्रेडर्स) द्वारा दायर शिकायत पर सुनाया गया।

मामले का संक्षिप्त विवरण:

परिवादी राहुल परमार ने एक हुंडई i-20 ऐक्टिव कार मॉडल दिनांक 29.03.2015 को क्रय की थी, जिसका बीमा विपक्षी एच.डी.एफ.सी. इरगो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड से एक कॉम्प्रिहेंसिव पॉलिसी (Comprehensive Policy) के तहत कराया गया था। इस पॉलिसी के लिए ₹30,280/- का प्रीमियम अदा किया गया था और बीमित वाहन का घोषित मूल्य (IDV) ₹7,95,093/- था।

दिनांक 19.11.2015 को, कार मथुरा के टैंक चौराहा पर दुर्घटनाग्रस्त होकर पलट गई, जिसे बीमा कंपनी के पास क्लेम के रूप में दर्ज कराया गया।

विवाद का मुख्य बिंदु: साल्वेज की मनमानी कटौती

बीमा कंपनी ने दुर्घटनाग्रस्त वाहन के सर्वे के लिए एक सर्वेयर नियुक्त किया। सर्वेयर ने वाहन को ‘टोटल लॉस’ मानते हुए नेट लायबिलिटी ₹7,37,000/- आंकी।

बीमा कंपनी ने दावा किया कि वे ₹7,37,000/- का भुगतान करने के लिए तैयार थे, लेकिन उन्होंने साल्वेज (Salvage) मूल्य के रूप में ₹3,50,000/- की कटौती करते हुए शेष ₹3,86,000/- के भुगतान की पेशकश की। बीमा कंपनी का तर्क था कि परिवादी ने औपचारिकताएं पूरी नहीं कीं, जिस कारण क्लेम का भुगतान नहीं किया गया।

परिवादी ने इस भारी कटौती को गलत और मनमाना बताते हुए, सेवा में कमी के आधार पर आयोग में परिवाद दायर किया। परिवादी के अनुसार, कार लगभग 8 माह के भीतर दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी और सर्वेयर की रिपोर्ट के अनुसार 90% क्षतिग्रस्त थी, अतः इसका निपटारा ‘टोटल लॉस’ के आधार पर होना चाहिए था।

आयोग का निष्कर्ष और निर्णय:

उपभोक्ता संबंध स्थापित: आयोग ने पाया कि प्रीमियम के भुगतान और बीमा पॉलिसी के कारण, परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 2(1)(डी) के तहत उपभोक्ता है और बीमा कंपनी उसकी सेवा प्रदाता है।

सेवा में कमी: आयोग ने बीमा कंपनी द्वारा ₹3,50,000/- की साल्वेज कटौती को अविधिसम्मत और मनमाना माना। आयोग ने इस बात पर जोर दिया कि सामान्यतः आई.डी.वी. पर टोटल लॉस के मामले में शून्य से 10 प्रतिशत तक की कटौती की जाती है।

इस संदर्भ में, आयोग ने रवीश सिंह बनाम इफको टोकियो जी.आई.सी. लि. व अन्य मामले में राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग, नई दिल्ली के निर्णय का उल्लेख किया।

आयोग ने निष्कर्ष निकाला कि बीमा कंपनी ने मनमाने तरीके से साल्वेज कटौती करके सेवा में कमी की है।

अंतिम अनुतोष:

उपभोक्ता आयोग प्रथम ने 05.06.2025 को अपना निर्णय सुनाते हुए बीमा कंपनी को निम्नलिखित भुगतान करने का आदेश दिया:

* बीमा दावा राशि: ₹7,95,093/- (IDV) से 10% साल्वेज कटौती और ₹1,000/- पॉलिसी एक्सेस (कुल ₹80,509/-) की कटौती के बाद शुद्ध दावा राशि ₹7,14,584/-

* ब्याज: ₹7,14,584/- पर परिवाद दाखिल करने की तिथि 13.11.2017 से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 6% वार्षिक साधारण ब्याज।

* मानसिक पीड़ा क्षतिपूर्ति: ₹10,000/-

* वाद व्यय: ₹5,000/-

बीमा कंपनी को यह राशि निर्णय की तिथि से 45 दिनों के भीतर जमा करने का निर्देश दिया गया। चूक होने पर ब्याज दर 9% वार्षिक हो जाएगी।

निष्पादन और भुगतान:

27.09.2025 को हुई निष्पादन वाद (Execution Proceeding) की सुनवाई में, आयोग ने पाया कि प्रतिपक्षी बीमा कंपनी द्वारा वांछित ₹12,33,160/- की धनराशि आयोग के खाते में जमा कर दी गई है।

इसके बाद, आयोग ने परिवादी/डिकीदार (Rahul Parmar) के नाम से ₹12,33,160/- का अकाउंटपेयी चेक जारी करने का आदेश दिया। इस दौरान, यह भी पुष्टि हुई कि वाहन की आर.सी. (RC) दिनांक 26.09.2025 को आर.टी.ओ. (RTO) कार्यालय में सरेंडर की जा चुकी है।

अधिवक्ता पवन कुमार गौतम ने दिनांक 04.10.2025 को चेक संख्या 097330 के माध्यम से ₹12,33,160/- प्राप्त किए जाने की पुष्टि की। इस आदेश के साथ निष्पादन कार्यवाही समाप्त कर दी गई।

Attachment/Order/Judgement – Rahul parmar(1)

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विवेक कुमार जैन
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