पूरे देश में पटाखों पर लगे पाबंदी: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, प्रदूषण मुक्त हवा का अधिकार सिर्फ दिल्ली के लिए नहीं

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आगरा/नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त हवा का अधिकार सिर्फ दिल्ली-एनसीआर के नागरिकों का नहीं, बल्कि पूरे देश के लोगों का है।

कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि पटाखों पर प्रतिबंध सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि इसे पूरे देश में लागू किया जाना चाहिए।

चीफ जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की खंडपीठ एम.सी. मेहता केस की सुनवाई कर रही थी।

यह मामला दिल्ली-एनसीआर में पटाखों और पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण से जुड़ा है। सुनवाई के दौरान, यह बताया गया कि कोर्ट के आदेशों के बाद दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध है।

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अमिकस क्यूरी सीनियर एडवोकेट के. परमेश्वर ने कोर्ट को बताया कि अक्टूबर से फरवरी तक प्रतिबंध लगाना उचित है, लेकिन पटाखों के निर्माण, व्यापार और बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगाने से कई लोगों की आजीविका प्रभावित होती है।

इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि यह सोचना गलत है कि प्रदूषण मुक्त हवा का अधिकार सिर्फ राजधानी के नागरिकों का है।

उन्होंने कहा,

“अगर दिल्ली के नागरिकों को प्रदूषण मुक्त हवा का अधिकार है, तो देश के अन्य हिस्सों में रहने वालों को क्यों नहीं ? सिर्फ इसलिए कि यह राजधानी है या सुप्रीम कोर्ट यहां है, दिल्ली के नागरिकों को ही प्रदूषण मुक्त हवा मिले और बाकी देशवासियों को नहीं, ऐसा नहीं होना चाहिए।”

सुनवाई के दौरान, केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी ) ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में सर्दियों के दौरान प्रदूषण असहनीय हो जाता है।

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उन्होंने कहा,

“हम सचमुच घुटन महसूस करते हैं, सर्दियों में रहना असंभव हो जाता है।”

इस पर चीफ जस्टिस ने पंजाब का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां भी स्थिति उतनी ही गंभीर है। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि पिछली सर्दियों में अमृतसर का वायु प्रदूषण दिल्ली से भी ज्यादा खराब था।

उन्होंने कहा कि

“इसलिए नीति पूरे देश के लिए होनी चाहिए। दिल्ली को सिर्फ इसलिए विशेष छूट नहीं मिल सकती कि यहां ‘एलीट नागरिक’ रहते हैं।”

एएसजी ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रदूषण की समस्या ‘एलीट’ नहीं है, क्योंकि दिवाली पर अमीर लोग दिल्ली छोड़ देते हैं, लेकिन इसका असली शिकार गरीब और मजदूर होते हैं जिनके पास एयर प्यूरीफायर जैसी सुविधाएं नहीं होतीं।

कोर्ट ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग से दिल्ली की वायु गुणवत्ता पर रिपोर्ट लेने का निर्देश दिया। इस मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को तय की गई है।

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विवेक कुमार जैन
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