आजम खान के खिलाफ मुकदमे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की रोक 15 जुलाई तक बढ़ी, यतीमखाना बेदखली मामले में सुनवाई जारी

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आगरा/प्रयागराज उत्तर प्रदेश ३ जुलाई ।

समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आजम खान से जुड़े 2016 के बहुचर्चित बलपूर्वक बेदखली मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ ट्रायल कोर्ट द्वारा अंतिम आदेश पारित करने पर लगी रोक को 15 जुलाई तक बढ़ा दिया है। मामले में अगली सुनवाई भी 15 जुलाई को होगी।

आज सुनवाई के दौरान, सरकार की तरफ से कोर्ट में मामले में आवश्यक निर्देश प्राप्त करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा गया। गौरतलब है कि पिछले हफ्ते हाईकोर्ट ने आजम खान के सह-आरोपी वीरेंद्र गोयल द्वारा दायर याचिका पर अंतिम फैसला सुनाए जाने पर 3 जुलाई तक रोक लगा दी थी।

यह मामला 15 अक्टूबर 2016 को रामपुर स्थित यतीमखाना, वक्फ संख्या 157 नामक वक्फ संपत्ति पर अनधिकृत ढांचे को ध्वस्त करने की कार्रवाई से संबंधित है। आजम खान ने एक याचिका दाखिल कर मांग की है कि जब तक मुख्य गवाहों की दोबारा गवाही नहीं कराई जाती और केस से संबंधित महत्वपूर्ण वीडियो फुटेज रिकॉर्ड में नहीं लाई जाती, तब तक केस की निष्पक्ष सुनवाई संभव नहीं है। याचिका में उनके और अन्य याचियों के खिलाफ चल रहे पूरे मुकदमे पर रोक लगाने की भी मांग की गई है।

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आजम खान और उनके सहयोगी वीरेंद्र गोयल ने अपनी याचिका में ट्रायल कोर्ट के 30 मई 2025 के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उनकी इस मांग को अस्वीकार कर दिया गया था। उन्होंने 12 एफआईआर (जो अब एक एकल वाद में समाहित हैं) के सूचनादाताओं और मुख्य अभियोजन गवाहों, विशेष रूप से सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जफर अहमद फारूकी को पुनः बुलाने की अपील की थी। याचिका के अनुसार, जिस वीडियोग्राफी का उल्लेख खुद फारूकी ने किया है, वह याचिकाकर्ताओं की घटनास्थल पर अनुपस्थिति को साबित कर सकती है।

यह मुकदमा एफआईआर नंबर 528/2019 से 539/2019 और 556/2019 पर आधारित है, जो 2019-20 में रामपुर के कोतवाली थाना में दर्ज कराए गए थे। इन मामलों में आजम खान और अन्य पर डकैती, घर में अनधिकृत प्रवेश और आपराधिक षड्यंत्र जैसे संगीन आरोप लगाए गए थे।

बाद में इन सभी मामलों को एक साथ मिलाकर 8 अगस्त 2024 को विशेष न्यायाधीश (एमपी/एमएलए) रामपुर द्वारा एकल वाद में परिवर्तित कर दिया गया।

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि यह मुकदमा संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 20 और 21 का घोर उल्लंघन है और इसे राजनीतिक द्वेष से प्रेरित कार्रवाई बताया है। याचिका में पूरे मुकदमे को रद्द करने की भी मांग की गई है।

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इससे पहले, 11 जून 2025 को सह-आरोपी मो. इस्लाम उर्फ इस्लाम ठेकेदार और आले हसन खान की याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी। हाईकोर्ट ने धारा 528 बीएनएसएस याचिका संख्या 21084/2025 पर सुनवाई करते हुए ट्रायल कोर्ट को 3 जुलाई तक कोई अंतिम फैसला देने पर रोक लगा दी थी।

वहीं, 25 जून को वीरेंद्र गोयल और आजम खान की याचिका को भी सह-आरोपियों की याचिका के साथ जोड़ने का आदेश दिया गया था।

जस्टिस समीर जैन की सिंगल बेंच इस मामले में सुनवाई कर रही है।

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मनीष वर्मा
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