आगरा/प्रयागराज १२ अप्रैल ।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मेरठ के मदरसा छात्रवृत्ति वितरण में 13 साल पहले हुए 116 छात्रों को छात्रवृति राशि 1,16,000/- रुपये गबन के मामले में मदरशा खदीज तुल कुबरा लील बनात रुकनपुर थाना भावनपुर मेरठ के प्रबन्धक शकील अहमद कश्मीरी की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है और राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी तथा न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने दिया।
वर्ष 2010-11 में मेरठ के 116 बच्चो की छत्रवृति मदरसे के खाते में भेजी गई थी जिसको नगद वितरण कर बच्चो में वितरित किया गया था । इन मामलों में 99 एफ आई आर अलग अलग मदरसों के विरुद्ध दर्ज कराई गई है ।
याची ने तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारी मेरठ के निर्देश पर अधिकारियों की मौजूदगी में नगद छात्रत्रवृति का वितरण किया है ।
याची अधिवक्ता ने बताया कि आर्थिक अपराध संगठन ने घटना के 14 साल बाद याची को गिरफ्तार करना चाहती है और 8 साल के बाद एफ आई आर दर्ज हुई । याची अधिवक्ता ने बताया कि 3 करोड़ के गबन का आरोप सुमन गौतम, अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मेरठ के ऊपर है।
जिनके विरुद्ध 99 मुकदमे दर्ज है और सारे मुकदमे समाहित हो गए है और उनकी गिरफ्तारी पर भी न्यायालय ने रोक लगा रखी है।
वह वर्तमान समय मे जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी सहारनपुर के पद पर तैनात है । पिछले 13 साल से आज तक कोई भी गबन की धनराशि की वसूली नही हुई, याची निर्दोष है। अन्य जिला गाजियाबाद, सहारनपुर में भी छात्रवृति नगद वितरण हुई है ।
याची अधिवक्ता के बहस को सुनकर हाइकोर्ट ने शिक़ायतकर्ता नीतू राणा, निरीक्षक ई.ओ. डब्लू. मेरठ को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में राज्य सरकार सहित पुलिस अधीक्षक आर्थिक अपराध संगठन मेरठ व अन्य को जवाब दाखिल करने का आदेश पारित किया और याची के विरुद्ध चल रही जांच में पुलिस रिपोर्ट प्रेषित होने तक गिरफ्तारी पर रोक लगाने का निर्देश दिया है और 6 सप्ताह के बाद अन्य दो याचिका के साथ सुनवाई की तिथि नियत की है ।
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