आगरा के जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग प्रथम न्यायालय ने फ्यूचर जनरली इण्डिया इंश्योरेंस कम्पनी लि० को दिए बीमित कार की कीमत के 7,72,454 /- रूपये चुकाने के आदेश

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परिवादिनी डॉक्टर सरिता दीक्षित को सौंपा 7,72,454 /- रूपये का चेक

आगरा 16 जनवरी ।

आगरा के जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग प्रथम न्यायालय ने फ्यूचर जनरली इण्डिया इंश्योरेंस कम्पनी लि० को बीमित कार की कीमत चुकाने के आदेश देते हुए वादिनी को जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग प्रथम के अध्यक्ष माननीय सर्वेश कुमार ने 7,72,454 /- रूपये का चेक सौंप कर उसे राहत प्रदान की।

मामले के अनुसार परिवादिनी डॉक्टर सरिता दीक्षित एक हुण्डई कार आई- 20 यू० पी० 80 एफ० पी० 9520 की पंजीकृत स्वामिनी थी। जो कि फ्यूचर जनरली इण्डिया इंश्योरेंस कम्पनी लि० से बीमित थी।

जो दिनांक 05.10.2020 से दिनांक 04.10.2021 तक वैध एवं प्रभावी थी। उक्त वाहन दिनांक 23.09.2021 को चोरी हो गया जिसकी एफ० आई० आर० उसी दिन थाना शाहगंज में करायी गयी, जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट संख्या 411/2021 थी। परिवादिनी द्वारा प्रतिपक्षी बीमा कम्पनी के यहाँ अपना दावा प्रस्तुत किया गया।

पुलिस द्वारा उपरोक्त मामले में चार्ज शीट दायर की गई और यह कथन किया गया कि वाहन बरामद हो गया है। तत्पश्चात् परिवादिनी द्वारा वाहन रिलीज के लिए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया, परन्तु वाद में पुलिस ने यह रिपोर्ट लगा दी कि त्रुटिवश यह लिख दिया गया था कि वाहन बरामद हो गया है, जबकि वाहन की केवल नम्बर प्लेट बरामद हुई थी।

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परिवादिनी द्वारा बीमा दावा से सम्बन्धित सभी दस्तावेज प्रतिपक्षी बीमा कम्पनी को उपलब्ध कराये गये। बीमा कम्पनी द्वारा बिना किसी कारण के यह कहते हुये खारिज कर दिया कि परिवादिनी द्वारा एफ० आर० और वाहन के बरामद न होने की रिपोर्ट दाखिल नहीं की गई, जब कि पुलिस की केस डायरी व धारा 173 सी० आर० पी० सी० रिपोर्ट बीमा कम्पनी को प्रस्तुत की गई ।

तत्पश्चात् परिवादिनी द्वारा एक विधिक नोटिस दिनांकित 23.03.2023 प्रेषित किया, जिसका कोई जबाब प्रतिपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा नहीं दिया गया। परिवादिनी प्रतिपक्षी बीमा कम्पनी की उपभोक्ता है और प्रतिपक्षी बीमा कंम्पनी द्वारा परिवादिनी की चोरी गई कार का वाहन दावा का भुगतान न करके, सेवा में कमीं कारित की गई है। ऐसी स्थिति में यह वाद उपभोक्ता आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया गया।

आयोग ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद मामले को सुगमतापूर्वक निस्तारित किये जाने हेतु निम्न लिखित अवधार्य बिन्दु विरचित किये ।

(1)- क्या परिवादिनी एवं प्रतिपक्षी बीमा कम्पनी के मध्य उपभोक्ता एवं सेवा प्रदाता का सम्बन्ध स्थापित है ?

(2)- क्या प्रतिपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा बीमा क्लेम गलत तरीके से खारिज कर, सेवा में कमीं कारित की गयी है ?

(3)- परिवादिनी किस अनुतोष को प्राप्त करने की अधिकारिणी है ?

सभी तथ्यों परिस्थितियों तथा उपलब्ध साक्ष्य एवं उपरोक्त विधिक दृष्टान्तों को दृष्टिगत रखते हुये आयोग ने माना कि परिवादिनी उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा 2 (7) के अन्तर्गत उपभोक्ता की श्रेणी में आती है, प्रतिपक्षी बीमा कम्पनी उसकी सेवा प्रदाता है।

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प्रतिपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादिनी का क्लेम गलत तरीके से निरस्त करके, सेवा में कमीं कारित किया जाना सिद्ध है इस कारण प्रस्तुत परिवाद प्रतिपक्षी बीमा कम्पनी के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है तथा प्रतिपक्षी बीमा कम्पनी को आदेशित किया जाता है कि इस निर्णय से 45 दिन के अन्दर बीमित कार यू० पी० 80 एफ० पी० 9520 का घोषित बीमा मूल्य मु0 7,31,321/- रूपये में से 05 प्रतिशत डेप्रीसियेशन की कटौती करते हुए मु0 6,94,755/- रूपये परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक 15.05.2023 से 06 प्रतिशत बार्षिक साधारण ब्याज सहित डी० डी० के माध्यम से इस आयोग के खाता में जमा करना सुनिश्चित करे।

इसके अतिरिक्त प्रतिपक्षी बीमा कम्पनी को यह भी आदेश दिया जाता है कि मानसिक पीड़ा क्षतिपूर्ति के रूप में 10,000/- रूपये व वाद व्यय के रूप में 5,000/- रूपये भी उपरोक्त डिमाण्ड ड्राफ्ट के साथ जमा करे।

यदि प्रतिपक्षी बीमा कम्पनी ऐसा करने में चूक करती है तो परिवादिनी उपरोक्त समस्त धनराशि पर 06 बार्षिक साधारण ब्याज के स्थान पर 09 बार्षिक साधारण व्याज प्राप्त करने की अधिकारिणी होगी।

इस आदेश के उपरांत फ्यूचर जनरली इण्डिया इंश्योरेंस कम्पनी लि० ने आयोग के आदेशानुसार 7,72,454/- का ड्राफ्ट आयोग में जमा कर दिया। जिसे जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग प्रथम के अध्यक्ष माननीय सर्वेश कुमार ने परिवादिनी श्रीमती सरिता दीक्षित को सौंप कर उन्हें राहत प्रदान की ।आयोग ने इस मामले में त्वरित निर्णय लेते हुए मात्र एक वर्ष के अंदर ही उक्त आदेश पारित किया ।

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विवेक कुमार जैन
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