अवैध संबंध के चलते पति की हत्या के अपराध में आगरा की जिला अदालत ने पत्नी और प्रेमी को दी आजीवन कारावास की सज़ा

न्यायालय मुख्य सुर्खियां
अदालत ने माना कि अभियोजन पक्ष अभियुक्तों के खिलाफ लगाए गए आरोपों को स्थापित करने में रहा सफल
अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि यह मामला “दुर्लभतम में दुर्लभ “ श्रेणी का नहीं ,इस कारण मृत्युदंड नहीं है आवश्यक

आगरा, २० जून ।

आगरा में चार वर्ष पूर्व हुए एक सनसनीखेज हत्याकांड में आगरा के जिला और सत्र न्यायाधीश माननीय संजय कुमार मलिक ने बुधवार, 19 जून 2025 को एक अहम फैसला सुनाते हुए दो अभियुक्तों सोनी और श्रीमती पूनम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

यह फैसला सत्र परीक्षण संख्या 421/2021, ‘राज्य बनाम सोनी’ में आया है, जो 2021 में थाना डौकी , आगरा में दर्ज केस क्राइम नंबर 12/2021 से संबंधित है, जिसमें धारा 302 (हत्या) और 34 (सामान्य इरादा) भारतीय दंड संहिता के तहत आरोप लगाए गए थे।

घटना का विवरण:

अभियोजन पक्ष के संक्षिप्त विवरण के अनुसार, शिकायतकर्ता रामप्रसाद के पुत्र राकेश की शादी आठ साल पहले पूनम से हुई थी। शादी से पहले पूनम का सोनी पुत्र ब्रह्मचारी, निवासी ग्राम तसौद, थाना मनसुखपुरा, जिला आगरा के साथ अवैध संबंध था। सोनी अक्सर पूनम के घर आता-जाता था और धीरे-धीरे राकेश को सोनी और पूनम के बीच इस अवैध संबंध के बारे में पता चल गया, जिस पर उसने सोनी को अपने घर आने से मना कर दिया।

मामले के अनुसार 24 जनवरी 2021 को रात लगभग 10:00 बजे, पूनम ने सोनी को अपने घर में बुलाया हुआ था । जब राकेश रात 10:30 बजे घर लौटा, तो उसने सोनी के घर में प्रवेश का विरोध किया।

राकेश के इस कृत्य से नाराज होकर, पूनम और सोनी ने उसी रात मृतक राकेश का दुपट्टे/स्कार्फ से गला घोंट दिया। बच्चों के रोने की आवाज सुनकर, शिकायतकर्ता रामप्रसाद जो कि मृतक का पिता था ने पूनम और सोनी को भागते हुए देखा और उसने उनका पीछा किया लेकिन उन्हें पकड़ने में असमर्थ रहा और पूरी रात खोजने के बावजूद वे नहीं मिले।

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अभियोजन पक्ष की दलीलें:

अभियोजन पक्ष की तरफ से जिला शासकीय अधिवक्ता बसंत कुमार गुप्ता एवं सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता देवी सिंह सोलंकी ने अदालत के समक्ष कई गवाहों और दस्तावेजी सबूतों को पेश करते हुए यह साबित करने की कोशिश की कि अभियुक्तों ने सुनियोजित तरीके से या सामान्य इरादे के साथ हत्या को अंजाम दिया।

उन्होंने अभियुक्तों के खिलाफ प्रत्यक्ष और परिस्थितिजन्य सबूत प्रस्तुत किए, जो अपराध में उनकी संलिप्तता को स्पष्ट करते थे।

अभियोजन ने तर्क दिया कि अभियुक्तों का कृत्य गंभीर प्रकृति का था और इसके लिए सख्त से सख्त सजा आवश्यक है ताकि समाज में कानून का राज स्थापित हो सके और ऐसे अपराधों को रोका जा सके।

बचाव पक्ष की दलीलें:

बचाव पक्ष ने अभियुक्तों की ओर से तर्क दिया कि वे निर्दोष हैं और उन्हें झूठा फंसाया गया है। उन्होंने अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों पर संदेह व्यक्त किया और कहा कि वे संदेह से परे अभियुक्तों के अपराध को साबित करने में विफल रहे हैं।

बचाव पक्ष ने अभियुक्तों की परिस्थितियों पर भी प्रकाश डाला, जिसमें उनकी पहली सजा (first conviction) और पारिवारिक स्थिति शामिल थी, यह तर्क देते हुए कि इन कारकों को सजा सुनाते समय ध्यान में रखा जाना चाहिए। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि यह मामला “दुर्लभतम में दुर्लभ” (rarest of the rare) श्रेणी में नहीं आता है, जिसके लिए मृत्युदंड की आवश्यकता होती।

अदालत का फैसला और अवलोकन:

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने, गवाहों के बयानों और प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों का गहन विश्लेषण करने के बाद, जिला और सत्र न्यायाधीश माननीय संजय कुमार मलिक ने अपना फैसला सुनाया। अदालत ने पाया कि अभियोजन पक्ष अभियुक्तों के खिलाफ लगाए गए आरोपों को स्थापित करने में सफल रहा।

हालांकि, अदालत ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया कि यह मामला “दुर्लभतम में दुर्लभ” श्रेणी में नहीं आता है, जिसके लिए मृत्युदंड आवश्यक होता। न्यायाधीश ने टिप्पणी की कि आपराधिक न्याय प्रणाली में आजीवन कारावास एक सामान्य नियम है और मृत्युदंड एक अपवाद है, जिसे तभी लागू किया जाना चाहिए जब आजीवन कारावास पर्याप्त दंड न लगे। अदालत ने अभियुक्तों की पहली सजा और उनकी पारिवारिक परिस्थितियों को भी ध्यान में रखा, साथ ही अपराध की गंभीरता पर भी विचार किया।

इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए, अदालत ने सोनी और श्रीमती पूनम को धारा 302 और 34 आईपीसी के तहत दोषी ठहराया और दोनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके अतिरिक्त, प्रत्येक दोषी पर 10,000/- रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। यदि वे जुर्माना नहीं भर पाते हैं, तो उन्हें छह महीने का अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतना होगा।

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वित्तीय मुआवजा और आगे की प्रक्रिया:

न्यायालय ने यह भी आदेश दिया कि लगाए गए जुर्माने की राशि में से 50% शिकायतकर्ता राम प्रसाद को मुआवजे के तौर पर देय होगी, जबकि शेष राशि राज्य सरकार के कोष में जमा की जाएगी।

फैसले की एक मुफ्त प्रति तत्काल प्रभाव से दोषी सोनी और श्रीमती पूनम को प्रदान की जाएगी। इसके बाद, दोषियों के सजा वारंट तैयार कर अनुपालन के लिए जिला जेल, आगरा भेजे जाएंगे।

Attachment/Order/Judgement – S.T.No.421 of 2021 State Vs.Sony & Another dt.19-06-2025 ajivan karavas

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विवेक कुमार जैन
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