शिक्षक दिवस पर अधिवक्ताओं ने किया अपने गुरु प्रो. अरविंद मिश्रा का सम्मान

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तालियों की गड़गड़ाहट के बीच संपन्न हुआ शिक्षक दिवस का कार्यक्रम

आगरा 5 सितम्बर।

शिक्षक दिवस के सुअवसर पर “संस्कृति भवन” इतिहास एवं संस्कृति विभाग, डॉ० भीमराव अम्बेडकर वि० वि० आगरा के प्रांगण में शिक्षक सम्मान एवं अभिनन्दन समारोह का आयोजन पूर्व विधि छात्र डॉ० भीमराव अम्बेडकर वि० वि० आगरा, इतिहास एवं संस्कृति विभाग, युवा अधिवक्ता संघ, अधिवक्ता सहयोग सहयोग समिति एवम अधिवक्ता सहयोग एवं शक्ति संघ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया।

कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिवक्ता व गुरु प्रो० अरविन्द मिश्रा एवं अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता व गुरुजन अशोक कुलश्रेष्ठ, अशोक भाई, रमाशंकर शर्मा, डा. गिरजाशंकर शर्मा, जे.पी. सिंह, लोकेन्द्र शर्मा, सुनील वशिष्ठ, विवेक कुमार जैन का भव्य सम्मान शाल, पटका व मालाओं से किया गया।

इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि प्रो. अजय तनेजा प्रति कुलपति, कार्यक्रम अध्यक्ष विजय कुमार शर्मा वरिष्ठ अधिवक्ता, प्रो . अरविंद मिश्रा वरिष्ठ अधिवक्ता एवम डॉ बी डी शुक्ला विभागाध्यक्ष इतिहास एवम संस्कृति विभाग द्वारा मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्वलित एवम माल्यार्पण द्वारा एवम डा. सर्वपल्ली राधा कृष्णन के चित्र पर माल्यार्पण कर दिया गया।

इस अवसर पर पूर्व राष्ट्रपति व भारतरत्न डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला गया तथा उनकी प्रेरणा से होने वाले शिक्षक दिवस पर गुरुजनों के प्रति सम्मान के भाव को प्रदर्शित किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण के केंद्र सबके प्रिय शिक्षक प्रो० अरविन्द मिश्रा एडवोकेट पूर्व विशेष कार्याधिकारी राज्यपाल उत्तर प्रदेश व संकायाध्यक्ष विधि संकाय, डॉ० भीमराव अम्बेडकर आगरा, विभागाध्यक्ष विधि विभाग, आगरा कॉलेज आगरा ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि

शिक्षक के रूप में कार्य करते हुए उन्हें सदैव गर्व का अनुभव हुआ है।शिक्षक दिवस पर अपने स्वागत एवम सम्मान से अभिभूत प्रो. मिश्रा एक समय तो निशब्द हो, उनका गला रूंध गया और वो मौन हो गए।लेकिन फिर अपने प्रिय शिष्यों की तालियों की गूंज के बीच उन्होंने शिक्षक जीवन से जुड़े कई किस्से बताए और शिक्षक दिवस पर अपने गुरु एवम शिक्षक ईरानी जी का भी स्मरण किया और उनके संबध में एक वाक्या भी सुनाया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये वरिष्ठ अधिवक्ता श्री विजय कुमार शर्मा ने कहा कि

भारत में गुरु-शिष्य परम्परा प्राचीन परंपरा है और आज के समय में इसको बनाये रखना एक महती आवश्यक है। वकालत और चिकित्सक दो ऐसे क्षेत्र है जिसमे आज भी गुरु शिष्य परम्परा ,वरिष्ठ और कनिष्ठ के बीच सम्मान भाव कायम है।उन्होंने कहा कि आज के कार्यक्रम से वह अत्यंत उत्साहित एवम आशान्वित हैं।

 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो० अजय तनेजा, प्रति कुलपति ने कहा कि

शिक्षा अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाती है। शिक्षा से देश समाज एवं व्यक्ति का कल्याण होता है।

कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि प्रो० बी०डी० शुक्ला, विभागाध्यक्ष इतिहास एवं संस्कृति विभाग, ने कहा कि

शिक्षा के बिना किसी भी सभ्यता एवं संस्कृति का गुणोत्तर विकास सम्भव नहीं है। शिक्षा सभ्यता एवं संस्कृति के साथ-साथ मूल्यों एवं सस्कारों का विकास करती है जिसमें शिक्षक व गुरु का महत्वपूर्ण योगदान है

इस अवसर अन्य वक्त्ताओं ने भी अपने विचार व्यक्त किये कि कार्यक्रम में सहयोग व उपस्थिति के रूप में प्रमुख रूप से अशोक भाई, सुनील वशिष्ठ, रवि अग्रवाल, नितिन वर्मा, अमित शर्मा, आशुतोष श्रोत्रिय, नरेंद्र शर्मा, योगेंद्र वार्ष्णेय, चंदन सिंह राजपूत, विवेक कुमार जैन, लक्ष्मी लवानियाँ, कुमकुम आर्य, आसमां बेग, शशि उपाध्याय, मयंक लवानिया,आदि उपस्थित रहे।

 

कार्यक्रम का सफल संचालन पुष्पेंद्र शर्मा एडवोकेट, डा.अजीत सिंह एडवोकेट एवम नितिन वर्मा एडवोकेट ने संयुक्त रूप से किया।

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विवेक कुमार जैन
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