खंडपीठ की मांग पर आगरा के जनप्रतिनिधि मौन क्यों ? :रमाशंकर शर्मा एडवोकेट

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आगरा:

राजीव गांधी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और अधिवक्ता रमाशंकर शर्मा ने आगरा में उच्च न्यायालय की खंडपीठ की स्थापना और 2001 में हुए लाठीचार्ज के मुद्दे पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर सवाल उठाया है।

उन्होंने कहा कि दशकों से चल रहे इस आंदोलन में आज भी वकील न्याय का इंतजार कर रहे हैं, जबकि सत्ता में वही पार्टी है जिसने पहले इस मुद्दे पर समर्थन का वादा किया था।

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2001 का लाठीचार्ज और बीजेपी का मौन

शर्मा ने याद दिलाया कि 21 सितंबर 2001 को दीवानी कचहरी में अधिवक्ताओं पर पुलिस और पीएसी ने बर्बरतापूर्वक लाठीचार्ज किया था, जिसमें करीब 500 वकील गंभीर रूप से घायल हुए थे।

यहां तक कि तत्कालीन जिला जज विजय शंकर वाजपेयी को भी चोटें आईं थीं। यह घटना उस समय हुई थी जब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी और उत्तर प्रदेश में राजनाथ सिंह की भाजपा सरकार थी। आज भी केंद्र और राज्य दोनों जगह भाजपा की सरकारें हैं।

चुनावी वादे और वर्तमान स्थिति:

रमाशंकर शर्मा ने कहा कि जब भाजपा सत्ता में नहीं थी, तब उसके नेता वकीलों के साथ मिलकर जोर-शोर से खंडपीठ की मांग करते थे और वादा करते थे कि सरकार में आने पर इसे पूरा करेंगे।

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लेकिन आज जब आगरा के सभी जनप्रतिनिधि (सांसद, विधायक, महापौर, जिला पंचायत अध्यक्ष) भाजपा से हैं, तब भी कोई इस मुद्दे पर आवाज नहीं उठा रहा है।

उन्होंने आरोप लगाया कि 2014 से लगातार जनता के वोटों से जीतकर ये नेता संसद और विधानसभा में ‘मौज’ कर रहे हैं, लेकिन जनता और वकीलों को न्याय दिलाने के नाम पर उन्होंने चुप्पी साध रखी है।

शर्मा ने जोर देकर कहा कि अगर आगरा के जनप्रतिनिधि चाहें तो केंद्र और राज्य सरकार पर दबाव डालकर खंडपीठ की स्थापना करवा सकते हैं और 25 साल पुराने लाठीचार्ज के दोषियों के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है। उनका सवाल है कि आखिर भाजपा के नेता इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर क्यों खामोश हैं ?

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विवेक कुमार जैन
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