आगरा/नई दिल्ली:
केंद्र सरकार ने राज्य और जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोगों (SCDRC और DCDRC) में अध्यक्षों और सदस्यों की नियुक्तियों को लेकर एक महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण जारी किया है।
उपभोक्ता मामले विभाग, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा 26 अगस्त 2025 को जारी एक पत्र के माध्यम से सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस संबंध में दिशानिर्देश दिए गए हैं।
यह स्पष्टीकरण गणेशकुमार राजेश्वरराव सेलूकर बनाम महेंद्र भास्कर लिमये और अन्य के मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के 21 मई 2025 के फैसले के मद्देनजर आया है।

सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश
पत्र में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के पैरा 102.4 में दिए गए निर्देशों का विशेष उल्लेख किया गया है। सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का उपयोग करते हुए यह निर्देश दिया है कि:
* वे अध्यक्ष और सदस्य, जिनकी नियुक्ति ‘लिमये I’ (सिविल अपील संख्या 831-833, 2023) से पहले हुई थी, उन्हें अपना पूरा कार्यकाल पूरा करने दिया जाएगा।
* यदि उनका कार्यकाल नए नियमों के तहत भर्ती प्रक्रिया पूरी होने से पहले समाप्त होता है, तो उनकी नियुक्ति तब तक जारी रहेगी जब तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती।
मौजूदा नियमों की स्थिति:
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि जब तक सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार उपभोक्ता संरक्षण (योग्यता, नियुक्ति की विधि, प्रक्रिया, कार्यकाल, त्यागपत्र और अध्यक्ष और सदस्यों को हटाने) नियम, 2020 में उपयुक्त संशोधन नहीं हो जाते, तब तक माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय का अनुपात (ratio) ही मान्य रहेगा।

यह कदम आयोगों की कार्यप्रणाली में निरंतरता बनाए रखने और किसी भी कानूनी या प्रशासनिक बाधा को रोकने के लिए उठाया गया है।
पत्र में बताया गया है कि विभाग को कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से इस विषय पर स्पष्टीकरण मिल रहे थे, जिसके बाद यह दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। यह पत्र सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बाद जारी किया गया है।
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Attachment/Order/Judgement – letter from govt of india regarding Appointment of President and Members

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