आगरा/नई दिल्ली: ११ अगस्त ।
कोल्हापुर के एक जैन मंदिर की हाथी ‘महादेवी’ (जिसे ‘माधुरी’ भी कहा जाता है) को जामनगर स्थित राधे कृष्णा टेम्पल एलीफेंट वेलफेयर ट्रस्ट (RKEWT) में स्थानांतरित करने के फैसले को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए सहमत हो गया है।
चीफ जस्टिस बी.आर. गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस ए.एस. चंदूकर की बेंच ने इस मामले को गुरुवार के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति दी है।
यह याचिका ऐसे समय में दायर की गई है जब हाथी को स्थानांतरित किए जाने के फैसले का पूरे महाराष्ट्र में भारी विरोध हुआ।
याचिकाकर्ता की ओर से तत्काल सुनवाई की मांग करते हुए कोर्ट को बताया गया कि,
“माइलॉर्ड्स, एक अभयारण्य वंतारा है। उन्होंने मंदिर की हाथी को जबरन ले लिया है।”
कोर्ट का पिछला फैसला और विरोध:
‘महादेवी’ पिछले 30 सालों से कोल्हापुर के नंदनी गांव स्थित जैन समुदाय के श्रद्धेय स्वस्तिश्री जिनसेन भट्टारक पट्टाचार्य महास्वामी संस्था की देखभाल में थी। हाथी के स्थानांतरण के बाद हजारों लोग इस फैसले के खिलाफ सड़कों पर उतर आए थे।
इस साल जुलाई में बॉम्बे हाईकोर्ट ने जैन मंदिर ट्रस्ट की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें हाई पावर कमेटी (एचपीसी ) के उस आदेश को चुनौती दी गई थी। इस आदेश में हाथी को जामनगर स्थित राधे कृष्णा एलीफेंट वेलफेयर ट्रस्ट (RKEWT) में भेजने की सिफारिश की गई थी।
जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और जस्टिस डॉ. नीला गोखले की खंडपीठ ने एचपीसी की इस दलील से सहमति जताई थी कि हाथी के स्वास्थ्य को धार्मिक गतिविधियों से ऊपर रखा जाना चाहिए, खासकर जब उसके शारीरिक स्वास्थ्य खराब होने के संकेत मिले हों।
28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की खंडपीठ ने भी मंदिर ट्रस्ट की याचिका खारिज कर दी थी और हाईकोर्ट के निर्देशों का जल्द से जल्द पालन करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने यह भी कहा था कि हाथी की यात्रा के दौरान उसकी सुरक्षा और स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखा जाए।
महाराष्ट्र सरकार का रुख और मुख्यमंत्री का बयान:
हाथी को जामनगर भेजे जाने के बाद हुए विरोध प्रदर्शनों के बीच, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि जैन मठ सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करेगा और राज्य सरकार हाथी की वापसी का समर्थन करेगी।
मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर इस मामले पर अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि उन्होंने मुंबई में वंतारा टीम के साथ विस्तृत चर्चा की है।
उन्होंने कहा,
“अच्छी खबर है कि उन्होंने महाराष्ट्र सरकार की सुप्रीम कोर्ट में याचिका में शामिल होकर ‘माधुरी’ को मठ में वापस लाने की प्रक्रिया में सहयोग का आश्वासन दिया। वंतारा ने कहा कि वे केवल सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कार्य कर रहे हैं और हाथी की अभिरक्षा छीनने का उनका कोई इरादा नहीं था।”
मुख्यमंत्री के अनुसार, वंतारा टीम ने कोल्हापुर के नंदनी के पास महादेवी के लिए एक पुनर्वास केंद्र बनाने की भी इच्छा जताई है और समुदाय की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करने की बात कही है। अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जहां इस मामले में आगे की दिशा तय होगी।
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