आगरा के युवा उद्यमी हेमंत जैन ने सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल की थी याचिका
आगरा/नई दिल्ली:
सुरक्षित और सुलभ फुटपाथों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और सभी राज्य सरकारों को सख्त चेतावनी दी है। कोर्ट ने दिशानिर्देश बनाने के लिए 4 सप्ताह का अंतिम अवसर दिया है और कहा है कि यदि सरकारें ऐसा करने में विफल रहती हैं, तो वह खुद न्यायमित्र की सहायता से दिशानिर्देश तैयार करेगा। मामले की अगली सुनवाई 1 सितंबर 2025 को होगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने आगरा के युवा उद्यमी हेमंत जैन की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता के.सी. जैन ने कोर्ट में पैरवी की।
जीवन के अधिकार से जुड़ा है सुरक्षित फुटपाथ का मुद्दा:
याचिका में 14 मई 2025 के एक पुराने आदेश का हवाला दिया गया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य पीठ ने कहा था कि फुटपाथों और रास्तों का उपयोग करने का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का एक अभिन्न हिस्सा है।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सड़कें सिर्फ वाहनों के लिए नहीं, बल्कि पैदल चलने वाले नागरिकों के लिए भी सुरक्षित होनी चाहिए।

याचिका में उठाए गए प्रमुख मुद्दे:
याचिका में पैदल यात्रियों के सामने आने वाली कई समस्याओं को उजागर किया गया है, जैसे:
* फुटपाथों पर अतिक्रमण, उनकी खराब हालत और गैर-सुलभ डिजाइन।
* सड़क किनारे वाहनों की अवैध पार्किंग, जो पैदल चलने वालों को सड़क पर आने के लिए मजबूर करती है।
* दिव्यांगजनों के लिए सुविधाओं का अभाव।
* वाहन चालकों द्वारा जेब्रा क्रॉसिंग पर पैदल यात्रियों को प्राथमिकता न देना।
* ट्रैफिक पुलिस और नगर निकायों की निष्क्रियता।
आंकड़ों ने दिखाया पैदल यात्रियों की बढ़ती मौतें
याचिका में दिए गए आंकड़ों के अनुसार, सड़क हादसों में पैदल यात्रियों की मौत का प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है। वर्ष 2016 में यह 10.44% था, जो 2022 में बढ़कर 19.5% हो गया। 2022 में कुल 77,004 पैदल यात्री सड़क दुर्घटनाओं का शिकार हुए, जिनमें से 32,797 की मौत हुई।
याचिका में मांगी गई मुख्य राहतें:
* सभी शहरों में भारतीय सड़क कांग्रेस के मानकों के अनुसार फुटपाथों का निर्माण।
* दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के तहत हर फुटपाथ पर रैंप, टैक्टाइल पैविंग और ऑडियो सिग्नल जैसी सुविधाओं को अनिवार्य करना।
* अतिक्रमण हटाने के लिए हेल्पलाइन पोर्टल और शिकायत समाधान प्रणाली स्थापित करना।
* नई सड़क परियोजनाओं में पैदल यात्री सुरक्षा का मूल्यांकन अनिवार्य करना।
* पैदल यात्रियों के अधिकारों के प्रति जागरूकता अभियान चलाना।
वरिष्ठ अधिवक्ता के.सी. जैन ने कहा,
“यह मामला करोड़ों लोगों के जीवन की गरिमा की पुनर्प्रतिष्ठा से जुड़ा है।” वहीं, याचिकाकर्ता हेमंत जैन ने उम्मीद जताई कि “सरकारें अब देर नहीं करेंगी और सड़कों को सभी के लिए सुरक्षित और सुलभ बनाएंगी।”
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3 thoughts on “फुटपाथ सुरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट सख्त: केंद्र और राज्यों को दिशानिर्देश बनाने का अंतिम मौका”