आगरा २३ जुलाई:
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, कांग्रेस विधान मंडल दल के पूर्व नेता व पूर्व विधायक प्रदीप माथुर, और पूर्व एमएलसी विवेक बंसल के खिलाफ दायर अपील पर आज एडीजे-19 स्पेशल कोर्ट एमपी/एमएलए माननीय लोकेश कुमार की अदालत में नेताओं की तरफ से बहस पूरी हो गई।
अभियोजन पक्ष ने अपनी रूलिंग प्रस्तुत करने के लिए समय मांगा, जिस पर कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 2 अगस्त की तारीख तय की है।
राजीव गांधी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता रमाशंकर शर्मा ने नेताओं की ओर से पैरवी करते हुए लिखित बहस दाखिल की। उन्होंने तर्क दिया कि निचली अदालत द्वारा तीनों नेताओं को जिन आधारों पर दोषमुक्त किया गया था, वे सही थे।
शर्मा ने बताया कि धारा 195 सीआरपीसी के प्रावधानों के तहत लोक सेवक जिनके आदेश का उल्लंघन हुआ है, उनका लिखित परिवाद नहीं था। इसके अलावा, धारा 144 के अंतर्गत जारी आदेश पत्रावली में गवाहों के बयानों में भारी विरोधाभास था।
अधिवक्ता शर्मा ने यह भी कहा कि साक्ष्य के लिए कोई स्वतंत्र गवाह नहीं था, और सिर्फ पुलिस के गवाहों के बयान थे, जिनमें भी भारी अंतरविरोध पाया गया। इन आधारों पर अवर स्पेशल कोर्ट एमपी/एमएलए ने नेताओं को बरी किया था।
उन्होंने जोर देकर कहा कि अभियोजन ने मात्र “राजनीतिक द्वेष” की वजह से यह अपील दायर की है, जो खंडित होने योग्य है।
शर्मा ने अपनी लिखित बहस में उल्लेख किया कि अभियोजन की तरफ से सिर्फ पांच पुलिस गवाह प्रस्तुत किए गए। इनमें से एक गवाह, एसआई जितेंद्र कुमार ने जिरह के दौरान स्वीकार किया था कि नेताओं ने बसों को प्रवेश करने की अनुमति मांगी थी, लेकिन मुख्यमंत्री के आदेश पर उन्हें यूपी में प्रवेश नहीं करने दिया गया।
उन्होंने बताया कि मौके पर अजय कुमार लल्लू और विवेक बंसल को गिरफ्तार कर लिया गया था। शर्मा ने तर्क दिया कि जब नेताओं ने अनुमति मांगी और उसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, तो उन्होंने “जबरन प्रवेश कराने” का कोई अपराध नहीं किया।
कोविड महामारी के उल्लंघन के आरोप पर, शर्मा ने कहा कि उस समय सभी मास्क और दस्ताने पहने हुए थे, और नेताओं ने भी मास्क लगा रखे थे। पुलिस के गवाहों ने अपने बयानों में यह भी उल्लेख किया है कि नेताओं का कोई वीडियो या फोटो नहीं लिया गया था, न ही बसों के ड्राइवरों को गिरफ्तार किया गया, और न ही घटना स्थल के पास स्थित पेट्रोल पंप के कर्मचारियों या आसपास के दुकानदारों के बयान लिए गए।
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जिरह के दौरान यह भी सामने आया कि उस समय कई राजनीतिक और सामाजिक संस्थाएं मानव सेवा कर रही थीं।
शर्मा ने दोहराया कि नेताओं ने कोई अपराध नहीं किया है, और उन्हें “राजनीतिक द्वेष” के कारण गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने बताया कि मौके पर सिर्फ अजय कुमार लल्लू और विवेक बंसल को गिरफ्तार किया गया था, जबकि प्रदीप माथुर वहां मौजूद नहीं थे।
करीब 2 घंटे तक चली इस बहस में नेताओं की ओर से अन्य अधिवक्ताओं संतोष दीक्षित, केपी सिंह चौहान, आर एस मौर्य, सर्वेश कुमार यादव, उमेश जोशी, बी एस फौजदार, तान्या जैन सहित तमाम अधिवक्ताओं ने भी अपना पक्ष रखा।
इस अवसर पर कोर्ट में उत्तर प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष अजय कुमार दीक्षित और शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अमित कुमार सिंह भी मौजूद थे।
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