आगरा/प्रयागराज, उत्तर प्रदेश: १८ जून ।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कानपुर के बिकरू कांड में आरोपी रहे चौबेपुर के तत्कालीन थानाध्यक्ष (एसओ ) विनय तिवारी की दूसरी जमानत अर्जी सशर्त मंजूर कर ली है। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने विनय कुमार तिवारी की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया।
विनय तिवारी पर आरोप है कि उन्होंने पुलिस के छापे की सूचना मुख्य अभियुक्त विकास दुबे को दी थी, जिसके कारण 8 पुलिसकर्मियों की हत्या हो गई थी।
तिवारी के वकील ने जमानत के समर्थन में तर्क दिया कि यह उनकी दूसरी जमानत अर्जी है, पहली 21 सितंबर 2021 को खारिज हो गई थी। उन्होंने बताया कि विनय तिवारी 8 जुलाई 2020 से जेल में हैं और कानपुर नगर के चौबेपुर थाने में 30 सितंबर 2020 को आरोप पत्र दाखिल होने के बाद मुकदमे की सुनवाई शुरू होने में अभियोजन पक्ष को दो साल से अधिक का समय लगा।
वकील ने यह भी बताया कि 102 अभियोजन गवाहों में से केवल 13 का ही परीक्षण किया गया है। उन्होंने यह भी दलील दी कि जांच अधिकारी विनय तिवारी के खिलाफ कोई विश्वसनीय सबूत नहीं जुटा पाए हैं, जिससे यह साबित हो सके कि उन्होंने विकास दुबे को छापे की जानकारी दी थी या उनके संबंध विकास दुबे से थे। इसके अलावा, सह-अभियुक्त अरविंद त्रिवेदी उर्फ गुड्डन सहित कई अन्य को भी जमानत पर रिहा किया जा चुका है।
अपर शासकीय अधिवक्ता विकास सहाय ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि अभियुक्त और सह-अभियुक्त केके शर्मा पुलिसकर्मी हैं और उन्होंने विकास दुबे के साथ मिलकर साजिश रची, जिसके परिणामस्वरूप 8 पुलिसकर्मियों की हत्या हुई।
उन्होंने यह भी बताया कि 102 में से 14 अभियोजन गवाहों का परीक्षण किया जा चुका है और मुकदमा जल्द ही समाप्त हो जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि सह-अभियुक्त केके शर्मा की पांचवीं जमानत अर्जी एक अन्य पीठ से खारिज हो चुकी है।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, कोर्ट ने अभियुक्त के अधिवक्ता की दलीलों, मुकदमे के निपटारे में अनिश्चितता, अभियुक्त के शीघ्र सुनवाई के मौलिक अधिकार (संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत) और मनीष सिसोदिया बनाम प्रवर्तन निदेशालय मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर विचार किया। इसके अलावा, जेलों में विचाराधीन बंदियों की क्षमता से 5-6 गुना अधिक भीड़ को देखते हुए, और मामले के गुणों पर कोई राय व्यक्त किए बिना, कोर्ट ने विनय तिवारी को शर्तों के साथ जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया।
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