आगरा 13 जून ।
आगरा जिले के पिनाहट थाना क्षेत्र के भदरौली गाँव में रहने वाले बुजुर्ग दम्पत्ति उरवेंद्र सिंह उर्फ रविन्द्र सिंह और श्रीमती इन्द्रों उर्फ इंदिरा देवी को अपर जिला जज-17 माननीय नितिन कुमार ठाकुर ने एक लंबे कानूनी संघर्ष के बाद पुत्रवधू की दहेज हत्या के आरोप से बरी कर दिया है। यह मामला 2019 से चल रहा था, जिसमें बुजुर्ग सास-ससुर पर दहेज हत्या का आरोप लगा था। अदालत के इस फैसले ने बुजुर्ग दम्पत्ति को बुढ़ापे में लगे इस गंभीर कलंक से मुक्ति दिलाई है।
पूरा मामला तब शुरू हुआ जब सूरज पुत्र स्व. यशपालसिंह निवासी इंद्रायनी, थाना बाह ने पिनाहट थाने में शिकायत दर्ज कराई कि उसकी बहन मधु उर्फ हेम कुमारी की शादी 16 अप्रैल, [वर्ष यहाँ नहीं दिया गया है, लेकिन घटना 2019 की है इसलिए अनुमानतः 2019 से पहले का वर्ष] को रमेश चंद पुत्र उरवेंद्र सिंह निवासी भदरौली के साथ हुई थी।
वादी ने आरोप लगाया था कि दहेज से संतुष्ट न होने के कारण उसकी बहन का पति रमेश चंद, सास श्रीमती इन्द्रों देवी, ससुर उरवेंद्र सिंह और ननद शिवानी उसे प्रताड़ित कर अतिरिक्त दहेज के रूप में पाँच लाख रुपये की मांग करते थे। मांग पूरी न होने पर आरोपियों ने 31 मई 2019 को उसकी बहन की गला दबाकर हत्या कर दी।
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पुलिस ने मामले की विवेचना के बाद आरोपी पति, सास और ससुर के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र प्रेषित किया था। आरोपी पति घटना के समय नाबालिग होने के कारण उसकी पत्रावली किशोर न्यायालय भेज दी गई थी।
अभियोजन पक्ष की ओर से वादी सहित दस गवाह अदालत में पेश किए गए, जबकि आरोपी सास और ससुर की ओर से भी तीन गवाहों ने गवाही दी। मुकदमे के दौरान कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए। यह उजागर हुआ कि मृतका की उम्र छिपाकर शादी की गई थी, जहां उसका पति नाबालिग था, वहीं वह उससे पाँच वर्ष बड़ी थी।
इसके अतिरिक्त, यह भी सामने आया कि मृतका अपने पति से संतुष्ट नहीं थी और उसका विवाह से पहले अपने गाँव के ही एक युवक से प्रेम संबंध था। उसे उस युवक से विवाह करने में सफलता नहीं मिल पाई थी। इन्हीं कारणों से मृतका ने विवाह के डेढ़ माह के भीतर ही स्वयं आत्महत्या कर अपनी जान दी थी।
आरोपियों की तरफ से उनके वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश चंद्रा ने मृतका का मोबाइल भी अदालत में पेश किया, जिसमें मृतका और उसके प्रेमी के बीच बातचीत की कॉल रिकॉर्डिंग उपलब्ध थी।
अपर जिला जज-17 माननीय नितिन कुमार ठाकुर ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य और आरोपियों के वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश चंद्रा के तर्कों पर विचार करने के बाद आरोपी सास-ससुर को दोषमुक्त करने के आदेश दिए।
इस फैसले से बुजुर्ग दम्पत्ति को आखिरकार न्याय मिला और उन पर लगा पुत्रवधू की हत्या का कलंक मिट गया।
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