कोर्ट ने युवती के पक्ष को मानते हुए युवक की याचिका की ख़ारिज
आगरा: १० जून ।
आगरा में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है जहां एक युवक ने अपनी शादी के डेढ़ महीने बाद ही उसे शून्य घोषित करने की याचिका अदालत में दायर की थी। युवक का दावा था कि उसने युवती और उसके एक मित्र के दबाव में आकर शादी की थी, लेकिन अदालत ने युवती का पक्ष जानने और प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों के आधार पर युवक की याचिका खारिज कर दी।
क्या है पूरा मामला ?
थाना नाई की मंडी क्षेत्र निवासी युवक ने इसी थाना क्षेत्र की एक युवती से 9 नवंबर 2022 को आर्य समाज मंदिर में शादी की थी। इसके दो दिन बाद, 11 नवंबर 2022 को उन्होंने तहसील स्थित विवाह रजिस्ट्रार अधिकारी के कार्यालय में अपनी शादी का पंजीकरण भी कराया।
युवक का आरोप:
आश्चर्यजनक रूप से, शादी के कुछ ही समय बाद, 1 फरवरी 2023 को युवक अपने विवाह को शून्य घोषित कराने के लिए अदालत पहुंच गया। उसने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि उसने यह शादी युवती और उसके एक मित्र के दबाव में की थी। युवक का दावा था कि युवती उसे शादी न करने पर आत्महत्या करने और झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी देती थी।
उसने यह भी आरोप लगाया कि युवती और उसका मित्र उसे जबरन आर्य समाज मंदिर और रजिस्ट्रार कार्यालय ले गए थे और ‘धनबल’ के माध्यम से दोनों जगहों से शादी के प्रमाण पत्र प्राप्त कर लिए। युवक ने यह भी कहा कि इस शादी में दोनों के परिवार के सदस्य शामिल नहीं थे और शादी के बाद से वे अलग-अलग पते पर रह रहे हैं, जिससे भविष्य में उनके साथ रहने की कोई संभावना नहीं है।
मानसिक उत्पीड़न और दबाव में कराई गई इस शादी के संबंध में युवक ने पुलिस आयुक्त से युवती, उसके मित्र और आर्य समाज मंदिर के आचार्य की शिकायत भी की थी, जिस पर थाना नाई की मंडी के उपनिरीक्षक द्वारा जांच भी की गई थी।
युवती का पक्ष और कोर्ट का फैसला:
युवक द्वारा याचिका प्रस्तुत करने पर अदालत ने युवती को अपना पक्ष रखने के लिए समन जारी किया। युवती ने अदालत को बताया कि उनके बीच कई वर्षों से प्रेम संबंध थे और उन्होंने अपने प्रेम संबंध को मजबूत करने के लिए अपनी मर्जी से शादी की और शारीरिक संबंध बनाए। युवती ने यह भी स्पष्ट किया कि युवक जिसे उसका ‘मित्र’ बता रहा है, वह वास्तव में उसी का परिचित था। युवती ने आरोप लगाया कि युवक ने उसका जीवन नर्क बना दिया है और उसे अकारण ही समाज में बदनाम किया है।युवती ने अपने विवाह से संबंधित साक्ष्य और कई अवसरों पर दोनों की एक साथ ली गई तस्वीरें भी अदालत में प्रस्तुत कीं।
अदालत ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य और युवती के अधिवक्ताओं हरीमोहन रावत, विवेक कुमार सिंह और उमेश गुप्ता के तर्कों पर विचार करने के बाद युवक द्वारा प्रस्तुत याचिका को खारिज करने का आदेश दिया।
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