आश्रित को सहायक अध्यापक नियुक्त करने वाले शासनादेश रद्द
कहा सरकार शासनादेशों पर अमल न करें ?
कहा सहायक अध्यापक के अतिरिक्त अन्य किसी पद पर आश्रित की नियुक्ति पर हो विचार
आगरा /प्रयागराज १८ अप्रैल ।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मृतक आश्रित सेवा नियमावली के तहत आश्रित को सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति को अनुच्छेद 14, 16, व 21 ए के विरूद्ध होने के कारण असंवैधानिक करार दिया है और मृतक आश्रित को सहायक अध्यापक नियुक्त करने की अनुमति देने वाले 4 सितंबर 2000व 15 फरवरी 2013 के शासनादेशों को रद्द कर दिया है और सरकार को इनपर अमल न करने का निर्देश दिया है।
याचिका में शासनादेशों की वैधता को चुनौती नहीं दी गई थी।इसलिए कोर्ट ने स्वत: प्रेरित सुनवाई कर रद्द कर दिया।
इसी के साथ कोर्ट ने याची के आश्रित कोटे में नियमानुसार सहायक अध्यापक के अतिरिक्त अन्य किसी पद पर नियुक्ति पर तीन माह में विचार कर निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
यह फैसला न्यायमूर्ति अजय भनोट की एकलपीठ ने शैलेन्द्र कुमार व पांच अन्य की समान याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है।
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कोर्ट ने कहा लोक पद खुली प्रतियोगिता से भरे जाने चाहिए। लोक पदों पर नियुक्ति में सभी को समान अवसर देने का संवैधानिक उपबंध है।ऐसे पदों को आश्रित कोटे से भरना कानून का दुरूपयोग करना है।यह बैंक डोर इंट्री है। जो लोक पदों पर नियुक्ति में समानता के विरूद्ध है।
कोर्ट ने कहा सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति सामाजिक स्टेटस का विषय है जबकि आश्रित कोटे में नियुक्ति परिवार में अचानक आई आर्थिक विपदा से राहत देना है।
याचीगण ने आश्रित कोटे में सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति की मांग की थी। कोर्ट ने इस मांग व शासनादेश को अनिवार्य शिक्षा कानून 2009 की धारा 3 व मृतक आश्रित सेवा नियमावली 1999के नियम 5 के विरूद्ध करार दिया है।
कोर्ट ने आदेश की प्रति प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा उप्र को अनुपालन हेतु भेजने का आदेश दिया है।
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