दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली कोचिंग सेंटर में मौत मामले में बेसमेंट के चार सह-मालिकों को दी जमानत

उच्च न्यायालय मुख्य सुर्खियां
मृतकों के परिवारों के कल्याण के लिए दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के पास जमा कराने होंगे पाँच पाँच लाख रुपये जमा

आगरा/नई दिल्ली 27 जनवरी ।

दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में शहर के पुराने राजिंदर नगर इलाके में कोचिंग सेंटर के बेसमेंट के चार सह-मालिकों को नियमित जमानत दे दी है ।इस बेसमेंट में राव की आईएएस कोचिंग सेंटर किराए पर चल रही थी जहां पिछले साल जुलाई में डूबने से तीन सिविल सेवा उम्मीदवारों की मौत हो गई थी।

जस्टिस संजीव नरूला ने परविंदर सिंह बनाम सीबीआई और अन्य मामले में सुनवाई करते हुए परविंदर सिंह, तजिंदर सिंह, हरविंदर सिंह और सरबजीत सिंह को जमानत दी। उन्हें मृतकों के परिवारों के कल्याण के लिए दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के पास 5 लाख रुपये जमा करने को कहा।

यह तब हुआ जब अदालत को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार, आरोपी कुल मिलाकर 5 लाख रुपये का स्वैच्छिक दान देने को तैयार थे।

अदालत ने कहा,

“तदनुसार, यह निर्देश दिया जाता है कि आवेदक आज से दो सप्ताह की अवधि के भीतर 15 लाख रुपये जमा करेंगे। मृतक के परिजनों के कल्याण के लिए दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को कुल 5 लाख रुपये की राशि दी जानी है। डीएसएलएसए के सदस्य सचिव मृतक के परिजनों के दावों पर विचार करेंगे और उचित विचार-विमर्श के बाद उक्त राशि के वितरण के लिए निर्देश जारी करेंगे। पिछले साल सितंबर में एक समन्वय पीठ ने आरोपियों को अंतरिम जमानत दी थी, बशर्ते वे रेड क्रॉस सोसाइटी में 5 करोड़ रुपये जमा कराएं।जिसका इस्तेमाल एलजी कोचिंग सेंटरों के संचालन को सुचारू बनाने के लिए करेंगे। यह देखते हुए कि आरोपियों के खिलाफ आरोप यह था कि उन्होंने बेसमेंट को व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किराए पर दिया, जो स्वीकार्य नहीं था। क्या ऐसा कृत्य बीएनएस की धारा 105 और 106 के तहत अपराध है, यह ट्रायल कोर्ट को सबूतों के आधार पर तय करना है ?

अदालत ने यह भी कहा कि स्टेटस रिपोर्ट या अन्य किसी भी तरह से आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के किसी भी पहलू को इंगित करने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सामग्री नहीं रखी गई।

न्यायालय ने कहा,

“तदनुसार, अंतरिम जमानत देने वाला 13 सितंबर, 2024 का आदेश अब उन्हीं शर्तों और नियमों पर नियमित जमानत के रूप में पुष्टि की जाती है।”

यह मामला भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस ) के प्रावधानों के तहत शुरू किया गया, जिसमें धारा 105 शामिल है और इसकी जांच सीबीआई द्वारा की जा रही है। यह आरोप लगाया गया कि संस्थान अवैध रूप से बेसमेंट में एक लाइब्रेरी चला रही थी, जहां स्टूडेंट पानी भर जाने से फंस गए थे ।

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साभार: लाइव लॉ

विवेक कुमार जैन
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